आर्थिक भूगोल . ४१८ सोड़ा बहुत से धन्धों में काम आता है। विशेषकर साबुन बनाने और शीशा बनाने में इसका बहुत उपयोग , होता है। यह सोडा ( Soda ) बिहार के चंपारन, मुजफ्फरपुर जिलों और सारन राज्य में, संयुक्तप्रान्त के बनारस, श्राज़मगढ़ जौनपूर, गाजीपूर जिलों में, बरार, खैरपूर राज्य, सिंध, और राजपूताना के सांभर झील के प्रदेश में निकलता है। अधिकांश सोडा बाहर चला जाता है। भारत में सोडा बनाने का धंधा शीघ्र ही स्थापित होना चाहिए क्योंकि इस धधे पर बहुत से धंधे निर्भर हैं। यह खाद बनाने के काम में आता है और कुछ विशेष प्रकार के कागज़ बनाने में भी इसका उपयोग होता है। भारत में जिपसम सीमेंट के धंधे में भी इसका बहुत उपयोग होता है। (Gypsum) अभी तक इसको अधिक नहीं निकाला गया है किन्तु इसकी खानें ट्रावंकोर, गोदावरी, और विजगापट्टम (मदरास के जिले ) उड़ीसा, मध्यप्रान्त और अजमेर मेरवाडा में हैं। अग्नि से बचाने के लिए जो वस्तुयें तैयार की जाती हैं, उनके तैयार करने में यह काम आता है। भारत में बंगलौर, ऐस्वस्टस मैसूर, अजमेर मेरवाड़ा, और मदरास के कुढ़ापा ( Asbestos ) जिले में निकलता है। यह फैरो क्रोम, क्रोमाइट स्टील, और क्रोमाइट ईटें बनाने के काम में आता है। इससे क्रोमियम लवण भी बनता है जो क्रोमाइट रंगने और चमड़ा कमाने के काम में आता है। भारत (Chromite ) में जितना क्रोमाइट निकलता है उसका ६५% मैसूर । में निकलता है। वहाँ शिमोगा और हसान मुख्य केन्द्र हैं। मैसूर के अतिरिक्त सिंगभूम में भी देश की उत्पत्ति का एक तिहाई क्रोमाइट निकाला जाता है। इनके अतिरिक्त बलूचिस्तान, रांची (उड़ीसा ) और भागलपूर-(बिहार ) में भी क्रोमाइट निकलता है। सारा का सारा क्रोमाइट विदेशों को भेज दिया जाता है। नरम घातुओं से मिलाने के लिए यह एक उपयोगी धातु है। यद्यपि अभी भारत में ऐंटमनी निकाला नहीं जाता है किन्तु एंटीमनी भविष्य में इसकी बहुत सम्भावना है और वह महत्त्व- ( Antimony ) पूर्ण खनिज होगा। लाहौल (पंजाब ) में शिरगी ग्लेशियर में एंटीमनी बहुत है किन्तु अत्यन्त शीत के
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