पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४३४

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शक्ति के श्रोत

(0 शक्ति के श्रोत ४२३.. कोयला संसार में शक्ति उत्पन्न करने का मुख्य साधन है। यदि कोयला न हो तो आधुनिक उद्योग-धन्धे बिल्कुल चौपट कोयला. हो जायें । भारतवर्ष में भी कोयला ही शक्ति उत्पन्न करने का मुख्य साधन है क्योंकि. यहाँ अभी जल विद्युत् बहुत कम उत्पन्न की गई है। परन्तु प्रकृति ने भारतवर्ष को यथेष्ट कोयला नहीं दिया । कोयले की दृष्टि से भारतवर्ष बहुत धनी नहीं है। १९३८ में भारतवर्ष की.कुल उत्पत्ति २५६ . लाख टन के लगभग थी। जबकि संसार की कुल उत्पत्ति १२२५० लाख टन थी। इसका अर्थ यह हुआ कि संसार की कुल उत्पत्ति का भारतवर्ष ने केवल २ प्रतिशत कोयला उत्पन्न किया । संयुक्तराज्य प्रति वर्ष जितना कोयला निकालता है उसको लगभग बीसा हिस्सा भारतवर्ष में निकलता है और ब्रिटेन की तुलना में भारतवर्ष पांचवा हिस्सा कोयला निकालता है। संसार में कोयला उत्पन्न करने की दृष्टि से भारतवर्ष का आठवां स्थान है। भारतवर्ष जैसा विशाल देश, वेलजियम, फ्रांस , और पोलैंड से भी कम कोयला उत्पन्न करता है। इसी से उसकी निर्धनता का परिचय मिलता है। भारतवर्ष में केवल कोयले की कमी ही नहीं है । यहाँ अच्छी जाति का कोयला और भी कम है । भारतवर्ष का बढ़िया कोयला ब्रिटेन के साधारण कोयले से भी घटिया है। ऐसा कोयला जिसका कोक बनाया जा सके भारतवर्ष में. कम ही मिलता है। भारतवर्ष का लगभग १७ प्रतिशत 'कोयला गोंडवाना चट्टानों से निकलता है। ये चट्टानें बहुत पुरानी हैं और अधिक्तर रेत के पत्थर (Sandstone ) तथा जमी हुई मिट्टी ( Shale ) की बनी हैं। इनमें रानीगंज, मरिया, बाकोरा, करनपूर तथा गिरहिह कोयले के क्षेत्र प्रमुख हैं। ये कोयले के क्षेत्र बंगाल और बिहार में हैं और देश का लगभग १० प्रतिशत कोयला इन्हीं क्षेत्रों से निकलता है। ऊपर दिये हुये कोयले के क्षेत्रों के अतिरिक्त पालामऊ जिले में, डाल्टनगंज की खानों में, तथा गोदावरी की घाटी में शिगरनी, बल्लरपूर तथा बरोरा की खाने और मोहपानी तथा पंच घाटी की खाने जो सतपुरा के समीप है गोंडवाना चट्टानों के क्षेत्र में ही स्थित हैं। ये खानें मध्यप्रान्त में स्थित हैं। गोंडवाना चट्टानों के क्षेत्र के बाहर कोयला आसाम और बिलोचिस्तान- और पंजाब में भी पाया जाता है । इनके अतिरिक्त हैदाराबाद, रीवा तथा बीकानेर राज्यों में भी कुछ कोयला पाया जाता है। आसाम में लखीमपूर जिले की खाने अधिक महत्वपूर्ण हैं । महानदी और गोदावरी की घाटियों . .