पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४३३

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आठवां परिच्छेद
शक्ति के श्रोत (sources of power

अठारहवाँ परिच्छेद शक्ति के, श्रोत ( Sources of Power ). भारतवर्ष औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है इस कारण यहाँ यांत्रिक शक्ति ( Mechanical power ) अन्य देशों की तुलना में कम उत्पन्न होती है। जैसे जैसे भारतवर्ष में आधुनिक ढंग के उद्योग-धन्धों की उन्नति होगी वैसे ही वैसे यांत्रिक शक्ति ( Mechanical power ) का अधिकाधिक उपयोग होगा। भारतवर्ष कृषिप्रधान है और यहां खेती में पशु-शक्ति का ही अधिक उपयोग होता है। खेत जोतने से लेकर फसल को मंडी में ले जाने तक सारी क्रियायें पशु-शक्ति के द्वारा ही होती हैं। भारतवर्ष में संसार में सब से अधिक गाय-बैल (२१ करोड़) हैं परन्तु आधुानक यंत्रों को चलाने में, इन पशुओं का उपयोग नहीं हो सकता । प्रकृति ने बहती हुई जल धारा तथा वायु में भी अनन्त शक्ति भर रक्खी है। किन्तु जैसा आठवें परिच्छेद में कहा जा चुका वायु तथा जल धारा भी आधुनिक बड़े बड़े यंत्रों और कारखानों को चलाने 'के उपयुक्त नहीं है । भारतवर्ष में तो हवा बहुत धीरे बहती है इस कारण उसका उपयोग साधारण कार्यों (जैसे पानी को खींचने' इत्यादि) में भी नहीं हो सकता । केवल दक्षिण प्रायद्वीप के समुद्र तट पर हवा तेज़ बहती है। वहां हवा का उपयोग साधारण कार्यों में किया जा सकता है। जल धारा का ही उपयोग यहाँ उद्योग-धन्धे में भी नहीं हो सकता है क्योंकि मैदानों में धार तेज़ नहीं होती और गर्मी में नदियाँ सूख जाती हैं। भारतवर्ष में जंगलों की कमी के कारण ईंधन की भी बहुत कमी है । अतएव इसका उपयोग भी शक्ति उत्पन्न करने में नहीं हो सकता। घरों में ईधन जलाने के लिए ही यथेष्ट लकड़ी प्राप्त नहीं होती फिर उद्योग-धन्धों के लिए लकड़ी जलाकर शक्ति उत्पन्न करने की कल्पना भी कैसे की जा सकती है। भारतवर्ष में उद्योग-धन्धों के लिए मुख्य शक्ति के श्रोत कोयला और बिजली हैं। 'बर्मा के पृथक कर दिये जाने से पैट्रोलियम की उत्पत्ति तो यहाँ नाम मात्र को रह गई है। अब हम इन शक्ति के साधनों का विवरण नीचे लिखेंगे-