४७६ : वार्षिक भूगोल भारत में अधिकांश चाय के बाग २००० से. ५००० फ़ीट की ऊंचाई पर हैं। सुर्मा की घाटी में चौरस ज़मीन पर भी चाय के बाग लगाये गए। Teu हैं। वहां पानी इकहा नहीं होता । किन्तु चौरस मैदान पर उत्पन्न की गई चाय बहुत बढ़िया नहीं होती। चाय के वृक्ष को सलफेट-आव अमोनिया (Sulphate of ammonia) की खाद की बहुत आवश्यकता होती है। चाय का वृक्ष प्रति वर्ष छाँट दिया जाता है और उसकी कटी हुई डालों को गड़हे में दाब कर उसकी खाद बनाई जाती है। इस प्रकार बनी हुई खाद का भी चाय के बागों में बहुत उपयोग होता है। क्रमशः भारतवर्ष में छायेदार वृक्षों को चाय के बागों में लगाना प्रारम्भ कर दिया गया है क्योंकि साये में चाय का वृक्ष अधिक पत्ती उत्पन्न करता है। भारतवर्ष में केवल पंजाब में कांगड़ा की घाटी में हरी चाय ( Green tea ) तैयार होती है और अन्य स्थानों पर काली चाय ( Black tea ) तैयार की जाती है। यह तो पहले ही बताया जा चुका है कि चाय की पत्ती को तैयार
पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४८७
दिखावट