a 1 इक्कीसवाँ परिच्छेद. उद्योग-धंधे ( Industries:). भारतवर्ष कृषिप्रधान देश है। देश की लगभग तीन चौथाई जनसंख्या खेती पर ही निर्भर है। ईस्ट इडिया कम्पनी के श्रीने के पर्व भारतवर्ष के धन्धे बहुत अच्छी दशा में थे। भारतवर्ष में वस्त्र व्यवसाय, लोहे का 'धन्धा, जहाज बनाने का धन्धा लकड़ी का समान इत्यादि धन्धे बहुत उन्नत अवस्था में थे। देश के राजनैतिक पतन के साथ यहाँ ईस्ट इंडिया को'. प्रभुत्व स्थापित हो गया। ईस्ट-इंडिया कानी ने भारतवर्ष के घन्धों को.. नष्ट करने का जैसा धृणित प्रयत्न किया वह किसी से छिपी नहीं है । इधर ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के धन्धों को नष्ट करने का प्रयत्न किया उधर इंगलैंड की सरकार ने भारतीय वन पर १५०% 'चुगी लगाकर तथा भारतीय जहाजों को टेम्स में न श्राने देने का नियम बनाकर भारतीय व्यवसाय को गहरा धक्का लिंगाया। उसी समय इङ्गलैंड में औद्योगिक क्रान्ति ( Iridustrial Revolutions) हुई और वहाँ बड़े बड़े पुतलीघर और कारखाने स्थापित हुये। अब क्या था भारत सरकार ने मुक्तद्वार ( Free Trade') नीति' को 'अपना कर भारतवर्ष को इङ्गलैंड के पुतली घरों में बने हुए तैयार माल का बाजार बना डाला । रहे सहे धन्धे भी नष्ट हो गये ।'भारतवर्ष पूर्णतः कृषिप्रधान देश बन गया। आधुनिक ढंग के कारखानों की स्थापना भारतवर्ष में वस्तुत: उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में हुई । आरम्भ में ईस्ट इंडिया कंपनी के रिटायर्ड कर्मचारियों तथा ब्रिटिश व्यवसायियों ने ही वन तथा जूट के कारखाने स्थापित किये । बाद को क्रमशः भारतीय व्यवसायियों ने भी कारखाने स्पापित करना प्रारम्भ कर दिये । फिर भी आज तक अधिकांश भारतीय धन्धों पर विदेशी पूंजी- पतियों का ही प्रभुत्व है। श्रारम्भ में कलकत्ता और बम्बई में कारखाने खोले गये । यही कारण
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