पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५१२
आर्थिक भूगोल

. 1 . ! श्राधिक भूगोल क्योंकि यदि कारखानों को जितनी शक्कर वे बना सकते थे बनाने दी जाती तो इतनी अधिक शक्कर उत्पन्न होती कि उसकी खपत देश में हो ही नहीं सकती। पिछले वर्ष की बची हुई बहुत सी शक्कर कारखानों के गोदामों में भरी पड़ी थी । अतएवं शक्कर की उत्ति को कम करने की आवश्यकता हुई। भविष्य में शक्कर की उत्पत्ति को और भी कम करने का प्रयत्न किया जा रहा है । भारतीय शक्कर का धंधा इस समय ऐसी अवस्था में पहुँच गया है कि यदि भारतीय कारखानों को विदेशों में शक्करः भेजने दी 'जाय तो भारतीय शक्कर संसार के बाज़ार में अन्य देशों की ‘शक्कर से प्रतिस्पर्धा में टिक सकती है। परन्तु भारत सरकार ने अन्तर्राष्ट्रीय शक्कर समझौते ( International : Sugar Agreement:) # satait fetare जिसके अनुसार सरकार ने शक्कर का बाहर भेजा जाना बंद कर दिया है। इस समय शक्कर के धंधे की दशा दयनीय हो रही है। यदि भारत सारकार ने विदेशों को शक्कर भेजने की आज्ञा न दी तो भविष्य में शक्कर की उत्पत्ति को कम करना होगा और गन्ने की खेती को भी कम करना होगा । भारत सरकार ने शक्कर के धंधे पर आबकारी कर (Pixcise-Tax) भी लगा दिया है और प्रतिवर्ष गन्ने का भाव भी निर्धारित करती है। धंधे को गिरने से बचाने, के लिए यह आवश्यक है कि शक्कर को बाहर भेजने दिया जाय । '. UP. PUNJAB BIHAR BENGAL MADRES 609344 NW.F. HYDERABAD MYSCRE REST OF INDIA बड़े बड़े कारखानों के अतिरिक्त गन्ना उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में