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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५३०

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उधोग-धंधे

उद्योग-धंधे भारतवर्ष में कागज़ बनाने के लिए यथेष्ट कच्चा माल है। अधिकतर कागज़ सबाई घास, और भाभर घास से तैयार होता काग़ज़ का धंधा है । यह घास इङ्गलैंड की पार्टी पास के समान ही ( Paper है। किन्तु इन घासों में खराबी यह है कि वे दूसरी Industry ) घासों से मिली रहती है। इस कारण उसे शुद्ध रूप में प्राप्त कर सकना कठिन है। साथ ही यह घास यथेष्टं नहीं है । इन घामों के अतिरिक्त वेव घास का भी उपयोग कागज़ की लुब्दी बनाने में होता है। इसके विपरीत बाँस तथा अन्य कच्चा माल अनन्त राशि में मिलता है। अन्य देशों में कागज़ लकड़ी की लुब्दी से तैयार किये जाते हैं किन्तु भारतवर्ष में कागज़ बनाने योग्य वन इतने ऊँचे पर हैं कि उसका उप- योग नहीं किया जा सकता । बास भारतवर्ष में बहुत अधिक मात्रा में मिलता है। साथ ही बाँस का वन बहुत जल्दी ही फिर उग आता है । जहाँ लकड़ी के वनों को फिर से उगने में पचासों वर्ष लगते हैं वहाँ बाँस का वन दो वर्ष में ही तैयार हो जाता है । अतएव जहाँ तक बास का सम्बंध है भारतवर्ष के वनों में बाँस अनन्त राशि में भरा पड़ा है। किन्तु बाँस से बना हुआ, कागज़ पास के बने हुये कागज़ की अपेक्षा कम टिकाऊ होता है। वाँस की लुब्दी में बिना लकड़ी की लुन्दी मिलाये कागज़ बनाया जा सकता है । किन्तु घास की लुब्दी में घोड़ी लकड़ी को लुन्दी मिलानी पड़ती है । बोस का बना कागज़ चिकना और सुंदर होता है । यद्यपि बॉस से बना कागज़ बढ़िया नहीं होता किन्तु सस्ता होता है । मारत में सस्ते काग़ज़ की अधिक मांग है इस कारण भविष्य में बांस से ही अधिकाधिक काग़ज़ तैयार किया जावेगा । बाँस बम्बई, मदरास; आसाम और पूर्वीय बंगाल में बहुत उत्पन्न होता है। भारतवर्ष की अधिकांश कागज़ की मिलें कलकत्ते के समीप हैं। इसका कारण यह है कि कलकत्ते में कागज़ की बहुत मांग है, कोयला समीप ही मिलता है और गंगा के पानी का उपयोग हो सकता है। हा कच्चा माल अवश्य यहाँ से दूर है। पिछले कुछ वर्षों में कागज़ की मिलें उन प्रदेशों में भी स्थापित की गई हैं जहाँ कि घास या बांस मिलता है । परन्तु उन क्षेत्रों से कागज का बाजार तथा कोयला दूर पड़ता है । संयुक्त प्रान्त में सहारनपुर और लखनऊ, पंजाब में जगाधरी, बिहार में डालमियानगर, बम्बई, आसाम और दक्षिण में फुटकर बिखरे हुये कारखाने स्थापित किये गये हैं। किन्तु काग़ज़ के धंधे का प्रधान केन्द्र कलकत्ता का समीपवर्ती "प्रदेश' हैं। जहाँ टीटागढ़, इन्डिया पेपर पल्प और बंगाल पेपर मिल्स के कारखाने हैं। भारतवर्ष मैं सधारण छापे के कागज़ को बनाने के लिये घास की तुन्दी