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आर्थिक भूगोल

३ . ५३० आर्थिक भूगोल है। इसी प्रकार उन्होंने भारतवर्ष में जलमागा की एक पूरी योजना तैयार की थी। किन्तु ब्रिटिश पूंजीपतियों ने इसका विरोध किया क्योंकि उनकी पूजी रेलों में लगी हुई थी। अस्तु भारत सरकार ने इस ओर ध्यान भी . नहीं दिया। बीसवीं शताब्दी में भारतवर्ष में सिंचाई के लिए नहरों को बनाने का कार्य बड़े उत्साह से किया गया । इन नहरों में देश की बहुत पूजी फंसी हुई है परन्तु भारत सरकार ने नहरों को जलमार्ग बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया । भारत सरकार की उदासीनता का यह परिणाम हुआ कि देश में जल- मार्गों की उन्नति न हो सकी। भारतवर्ष में थोड़ी सी ही नहरें हैं जिनके द्वारा माल आता जाता है। पंजाब की सरहिंद नहर में. हिमालय से लकड़ी लाई जाती है । गंगा तथा जमुना की नहरों में भी थोड़ी खेती की पैदावार एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाई जाती है । बंगाल के पश्चिमी भाग की नहरें इस दृष्टि से अधिक महत्व पूर्ण हैं । हिजली और मिदनापूर नहरें पश्चिम जिलों की पैदावार को ले जाती हैं । दक्षिण में बकिंगहम नहर एक महत्वपूर्ण जलमार्ग है । यह नहर कृष्णा को मदरास से जोड़ती है. और तट से समान दूरी पर बहतो है । बकिंगहम नहर से चावल तथा कपास मदरास को भेजा जाता है । गोदावरी और कृष्णा की नहरों में भी नावें चलती हैं। पूर्व तंट की नदियों के डेल्टों में जो नहरें हैं वे समो माल ले जाने के उपयोग में आती हैं। बिहार में सोन की नहर में भी बहुत माल आता है। अधिकतर इस नहर में कैमूर की पहाड़ी से पत्थर लाया जाता है। जलमार्गों की दृष्टि से बंगाल, आसाम, मदरास' और बिहार महत्वपूर्ण हैं। देश में कुल मिला कर केवल ३८०० मील खेई जाने वाली नहरें हैं इनमें से दो तिहाई केवल मदरास और बंगाल में हैं । बकिंगहम नहर और उड़ीसा नहर समुद्र के पानी को लेती हैं जिससे उनमें यथेष्ट पानी रहता है और बड़ी बड़ी ना आ जा सकती हैं । देश में येही दोनों नहरें सबसे बड़ी हैं। गंगा नदी पर बिहार और बंगाल में, तथा ब्रह्मपुत्र नदी पर आसाम और बंगाल में स्टीमर चलते हैं। जितना अधिक जल नदी की धारा में होता है उतना ही बड़ा स्टीमर चल सकता है । हुगली नदी में बड़े बड़े जहाज़ कलकत्ते तक आ जा सकते हैं। किन्तु हुगली में भी बराबर खुदाई होती रहती है, नहीं तो रेत के कारण नदी की गहराई कम हो जाय और जहाज़ों का भाना जाना असम्भव हो जाय। ---