गंमनागमन के साधन को धारा बहुत तेज़ होती है। इस कारण उसमें नाव खेना कठिन होता है। गरमी के दिनों में अधिकांश नदियां सूख जाती हैं केवल बड़ी नदियों में ही पानी रहता है अस्तु उन दिनों नदियों का उपयोग नहीं किया जा सकता । गरमियों में बड़ी नदियों में भी पानी बहुत कम हो जाता है। अधिकतर नदियों के किनारे पर बहुत दूर तक रेती होती है इस कारण नदी के किनारे तक लदी हुई गाड़ियों का आना कठिन होता है। यही नहीं नदियां जल्दी जल्दो धार बदलती हैं इस कारण भी उनका अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता। फिर भी यदि थोड़ी पूंजी लगाई जाती और नदियों के जलमार्ग को उन्नत करने का प्रयत्न किया जाता तो बहुत कम व्यय से देश में जलमार्गों का एक जाल बिछ जाता । गङ्गा और यमुना में बहुत दूर तक नावें श्रा जा सकती हैं। ब्रह्म पुत्र नद में डिबरु गढ़ तक स्टीमर पाते जाते हैं। पूर्वी बंगाल तथा आसाम में जलमार्गों का बहुत उपयोग होता है क्योंकि इस प्रदेश में बहुत सी छोटी छोटी.सहायक तथा नदियों की शाखें. बड़ी नदियों को जोड़ती हैं। इस प्रकार यही जलमार्गों का एक जाल मा बिछ गया है। इस प्रदेश में वर्षा के दिनों में नदियों में बहुत बाढ़ आती है इस कारण रेलवे लाइनें कम है और सड़के भी नहीं हैं। श्रतएव माल अधिकतर नदियों के द्वारा ही नावों से मेजा जाता है। जूट और चावल अधिकतर नदियों से ही ले जाया जाता है। यद्यपि दक्षिण की नदियां इतनी सुविधा- जनक नहीं है परन्तु यदि रेलवे लाइनों की दस प्रतिशत पूजी भी इन नदियों को खेने योग्य बनाने में लगाई जाये तो गोदावरी कृष्ण, भीमा और नीरा व्यापारिक जलमार्ग बन सकती हैं। (के० टी० शाह) सर० ए० काटन जो कि जलमार्गों के विशेषज्ञ थे, उन्होंने एक पॉलियामेंट की कमेटी के सामने कहा था 'मेरा कहना है कि भारतवर्ष के लिए जलमार्ग अधिक उपयोगी सिद्ध होंगे। रेलवे लाइनों पर जितना व्यय हुआ है उससे आठवें हिस्से में नहरें बनाई जा सकती हैं जो कि माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत कम खर्चे में ले जा सकती हैं। इन नहरों से सिंचाई भी होगी और वे व्यापारिक जलमार्ग का भी काम देंगी। राज्य को इन नहरों से घाटा नहीं होगा।" सर ए. काटन ने पूरी योजना बनाई थी। उनका कथन पा कि ३ करोड़ पौंड में वे भारतवर्ष के सब जल- मार्ग बना सकते हैं। उनकी योजना के अनुसार कलकत्ते से गङ्गा के मार्ग से और कराची तक सिंघ के मार्ग से एक मार्ग बन सकता माग कोकोनाडा से सूरत तक गोदावरी और ताती को जोड़ देने से बन सकता भा. भू-10 come