पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५४६

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गमनागमन के साधन

गमनागमन के साधन ५६५ एक ओर मदरास और कलकत्ता तथा दूसरी ओर मदरास और बम्बई को मिलाती है। यह जिस प्रदेश में है वह धना श्राबाद और उपजाऊ है इस पर अनाज, कपास, तिलहन, नमक, शक्कर, तम्बाकू, लकड़ी और खान की ट्रैफिक बहुत होती है। भारतवर्ष में पार और राजपूताना को मरुभूमि, तथा छोटानागपूर और उड़ीसा के पथरीले एवं ऊबड़-खाबड़ प्रदेश में रेलवे लाइनों का विस्तार नहीं हुआ है । इन प्रदेशों में श्राबादी बहुत कम है अतएव रेलवे लाइनों की अधिक आवश्यकता भी नहीं है। पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार ने रेलवे लाइनों को अपने अधिकार में लेने की नीति बना ली है। पाकवर्थ रेलवे कमेटी की सिफारिश के अनुसार इस नीति को अपनाया गया है। देश की प्रौद्योगिक तथा व्यापारिक उन्नति बहुत कुछ रेलों पर निर्भर है। इस कारण यह आवश्यक है कि रेलों की नीति भारतीय धंधों के प्रति सहानुभूति पूर्ण हो । रेलवे कंपनियों के प्रति भारतीयों को यही शिकायत रही है कि उन्होंने भारतीय धधों को प्रोत्साहन नहीं दिया । सब भारतीय रेलों का राज्य के अधिकार में आ जाने से यह शिकायत दूर हो जायगी। रेलों के विस्तार से देश को बहुत से लाभ हुये हैं । भारत जैसा विशाल देश एक सूत्र में बँध गावह रेलों के ही कारण हो सका। आज रेलों के द्वारा देश के सब भाग एक दूसरे से जुड़े हुये हैं रेलों के द्वारा आन्तरिक तथा विदेशी व्यापार भी बहुत बढ़ गया है। रेलवे लाइनों के समीप बड़ी बड़ी व्यापारिक मडिया तथा औद्योगिक केन्द्र स्थापित हो गये हैं । रेलवे लाइनों को बनाने तथा उनके लिए आवश्यक वस्तुओं को बनाने तथा डिब्बों की मरम्मत करने के लिए बहुत सी वर्कशाप खोजी गई हैं जिनसे देश में कुशल मजदूरों की संख्या बढ़ी है । बहुत से धंधे देश में केवल इसलिए स्थापित हुये क्योंकि रेलवे लाहनों के खुलने से देश में उन वस्तुओं की मांग उत्पन्न हो गई। रेलवे लाइनों के खुल जाने से हमारे गांवों की दूरी भी नष्ट हो गई । रेखों के बनने से पूर्व भारतीय गाँव आर्थिक दृष्टि से स्वावलम्बी थे। प्रत्येक गाँव में स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ही फसलें उत्पन्न की जाती थीं। रेलों के बन जाने से व्यापारिक खेती सम्भव हो सकी। आज जो मिन्न भिन्न प्रदेशों में कपास जूट इत्यादि की बहुत खेती होती है उसका श्राज केवल यही कारण है कि रेलों द्वारा यह माल बाहर भेजा जा सकता है। संक्षेप में रेलों के बन जाने से सारा भारतवर्ष एक हो गया । इस दृष्टि से उनका सामाजिक तथा राजनैतिक महत्व भी कम नहीं है।