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आर्थिक भूगोल

भाषिक भूगोल भारत में विदेशों से आने वाले मुख्य वस्तुओं का स्थान दूसरे महायुद्ध के प्रारम्भ होने से पूर्व अर्थात १९१८:३६ में भारत में केवल १४ करोड़ रुपये से कुछ अधिक को सूती वस्त्र सूती वस्त्र पाया । सूती वस्त्र भेजने वालों में क्रमशः मुख्य देश और कपास नीचे लिखे घे:-ब्रिटेन, जापान, चीन, स्विटजरलैंड, हालैंड, फ्रांस, इटली, जरमनी । मुख्य देश ब्रिटेन और जापान थे जो सूती वस्त्र भारत को भेजते थे। ब्रिटेनं ५० प्रतिशत और जापान ४३ प्रतिशत कपड़ा युद्ध के पूर्व भेजता था। पिछले दिनों भारत विशेषतः मित्र. से कपास मंगवाने लगा है। युद्ध काल में विदेशों से थाने वाला सूती कपड़ा बहुत कम हो गया और जापान का युद्ध प्रारम्भ हो जाने पर तो विदेशों से सूती वन आना प्रायः बंद हो गया। युद्ध के पर्व १६३६ में लोहा स्टील तथा यज १९ करोड़ रुपये से अधिक के आये। पिछले दिनों भारत में मशीनों का भायात लोहा और स्टील ( Import) बढ़ रहा है। यह इस बात का चिन्ह का सामान तथा है कि भारत में उद्योग-धंधों की उन्नति हो रही मशीनें है। किन्तु युद्ध काल में मशीनों का आना बहुत कम हो गया। इस देश में मशीनों की बहुत माँग है क्योंकि देश में नये नये धंधों के स्थापित करने की आवश्यकता है। अभी तो मशीनें बाहर से नहीं आ रही हैं क्योंकि मशीन बनाने के कारखाने अपने ही देशों को मशीनें। नहीं दे पा रहे हैं। किन्तु भविष्य में मशीनों का आयात ( Import) बहुत बढ़ जावेगा इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। युद्ध के पूर्व स्टील और मशीने मुख्यतः ब्रिटेन, जरमनी, संयुक्तराज्य . अमेरिका, बेलजियम, फ्रांस और जापान से आती थीं। मुख्यतः ब्रिटेन, संयुक्तराज्य अमेरिका, कनाडा, जरमनी, और इटैली मोटरकार से बाते हैं। प्रतिवर्ष ५ करोड़ रुपये के मोटरकार यहाँ इत्यादि भारत में कागज़ ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, अरमनी, स्वीडन, और कागज़ नारखे से आता है। जापान, चीन, इटली, और ब्रिटेन से भाता है। जापान ७० प्रतिशत से रेशम तथा रेशमी अधिक रेशम भारत को भेजता था। कपड़ा । आते हैं। '