भारत का व्यापार भारतीय वैदेशिक व्यापार के विषय में निम्नलिखित बोते. उल्लेख. - नीय हैं। - (१) अधिकांश भारतीय व्यापार समुद्र के द्वारा होता है । इसका मुख्य कारण यह है कि भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, तिब्बत तथा मध्य एशिया के प्रदेश बहुत पिछड़े हुये और निर्धन देश हैं । इन देशों का व्यापार नाम मात्र को है न वे भारत से अधिक खरीदते ही हैं और न अधिक बेंचते ही हैं। कार से इन देशों का धरावल ऊबड़ खाबड़ है और हिमालय के ऊँचे पहाड़ों के कारण मागों की सुविधा भी नहीं है । अस्तु यहाँ का वैदेशिक व्यापार मुख्यतः समुद्र के द्वारा होता है । कलकत्ता, बम्बई, करांची, और मदरास मुख्य व्यापारिक केन्द्र हैं इनके अतिरिक्त पूर्वी तथा पश्चिमी तट पर और भी छोटे छोटे बन्दरगाह हैं जो तटीय व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। (२) मारतवर्ष का वैदेशिक व्यापार प्रति मनुष्य पीछे अन्य देशों को तुलना में बहुत कम है। क्योंकि देश निर्धन है और यहाँ सम्पत्ति की उत्पत्ति कम है। (३) बाहर से आने जाने वाले पदार्थों में ७५% प्रतिशत-तैयार माल होता है । क्योंकि देश में औद्योगिक उन्नति नहीं हुई है और अधिकांश निर्यात किये जाने वाले पदार्थ खेती की पैदावार होते हैं क्योंकि देश में खेती का ही धन्मा मुख्य है। (४) भारतवर्ष का निर्यात ( Export) श्रआयात ( Imports) से सदैव अधिक होता है। भारतवर्ष के व्यापार की यही विशेषता है कि यहा का निर्यात पायात से सदैव अधिक रहता है। साधारणतः व्यापार का अन्तर भारत के पक्ष में रहता है। .१५.) भारतवर्ष में आने वाले माल का लगभग आधा केवल ब्रिटेन से आता है.और शेष अन्य देशों से। (4) हमारे निर्यात में कपास कन्ची अपवा वन के रूप में, जूट कच्चा, अपवा जूट का सामान, चाय, तिलहन चावल, खाम और चमड़ा यह पदार्थ कुल निर्यात का लगभग ८० प्रतिशत है। (७) कपास हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक वस्तु है। निर्यात होने वाले पदार्थों में कपास का सबसे अधिक मूल्य है और पायातं पदापों में वनों (सूती ) का मूल्य सबसे अधिक है। .. .?" 1
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