वार्षिक भूगोल यह कोचीन से १० मील उत्तर में है । मौनसून के प्रारम्भ में .यह बन्द रहता है । यहाँ समुद्र बिछला है इस कारण जहाजों कालीकट को बन्दरगाह से तीन मील दूर समुद्र में खड़ा होना पड़ता है। यहां से क्वायर (नारियल का छिलका) कोपरा, कहवा, चाय जिंजर, मूंगफली, तथा मछली को खाद बाहर भेजी जाती है। कोचीन मदरास प्रान्त में एक बहुत महत्वपूर्ण बन्दरगाह है। बम्बई और कोलम्बो के बीच में यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण कोचीन है। यहाँ से कायर, क्कायर की चटाइयाँ, कोपरा, नारियल का तेल, चाय, और रखर मुख्यतः विदेशों को भेजी जाती है। यह मदरास का एक महत्वपूर्ण बन्दरगाह है, और दक्षिण प्रायदीप के दक्षिण में अन्तिम सीमा पर स्थित है। किन्तु बन्दरगाह छिछला है इस कारण उसको बराबर खोदते रहने की आवश्यकता पड़ती है। कपास, चाय, सैना की पत्तियों और प्याज़ मुख्यतः यहाँ से. विदेशों को जाता है। इस बन्दरगाह का लंका से बहुत व्यापार होता है । चिटागांव पूर्वी बंगाल और आसाम का बंदरगाह है.। यहाँ से चाय बाहर बहुत जाती है। चाय के अतिरिक्त जूट, चिटागाँव मिट्टी का तेल, चावल और कपास भी यहाँ से जाती है। अब यह पूर्वी पाकिस्तान का मुख्य बन्दरगाह है। भारतवर्ष के मुख्य व्यापारिक केन्द्र बंदरगाहों के अतिरिक्त भारतवर्ष के मुख्य व्यापारिक केन्द्र : निम्नलिखित तूती कोरन . कानपूर, देहली, अहमदाबाद, अमृतसर, आगरा, श्रासंसोल, अमरौती, जयपूर, इंदौर, वंगलौर, लाहौर, सियालकोट, बनारस, लखनऊ, नागपुर, हैदराबाद, बड़ौदा, ग्वालियर, जबलपुर, मदूरा, विज़गापट्टम, ढाका, शोलापुर, इलाहाबाद, मैसूर। भारतवर्ष में जितने भी बन्दरगाह हैं वे सभी व्यापारिक केन्द्र हैं। बन्दर- गाहों को व्यापारिक केन्द्र बन जाना स्वाभाविक है। अपने व्यापार क्षेत्र की पैदावार को वे श्राकर्षित करते हैं और बाहर से आये हुये माल को वे देश के भिन्न भिन्न भागों में भेजते हैं। भारतवर्ष में कलकत्ता, बम्बई सबसे बड़े
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