श्रार्थिक भूगोल कोई आर्थिक महत्व नहीं है क्योंकि उसको विस्तृत उपयोग किया जा सके उसके लिए यन्त्र तैयार नहीं किये जा सके हैं। यही नहीं समुद्र के गर्भ में ऐसे बहुमूल्य पदार्थ भरे हैं जो आज यद्यपि मनुष्य के लिए एक रहस्य हैं किन्तु भविष्य में मनुष्य उनको उपयोग में लाकर अधिक समृद्धिशाली . और सुखी बन सकेगा। समुद्र के इस रहस्यमय छिपे हुए भण्डार को यदि हम छोड़ भी दें तो भी मनुष्य के लिए समुद्र की जो कुछ देन है और जिसका आज हम उपयोग कर रहे हैं उसके मूल्य का हम आंक नहीं सकते । पृथ्वी के धरातल को बनावट को वर्तमान रूप देने में समुद्र का बहुत ही बड़ा हाथ रहा है। संसार में तलछट वाला चट्टानों (Sedimentary Rocks) का जो विस्तृत भूभाग है वह मनुष्य को समुद्र की ही देन है। जब ये चट्टानें जो वास्तव में पानी द्वारा बहाकर लाये हुए पदार्थों के जमने से बनी था ऊँची उठ गई तो वे वर्तमान स्थल बन गए जो आज सभी महाद्वीपों में फैले हुए हैं। इन्हीं चट्टानों में पेट्रोलियम और कोयला दबा हुआ है जिनके. बिना याधुनिक सभ्यता ही असम्भव हा जावेगी। अाज भी समुद्र का जलवायु पर जो अमिट प्रभाव है उसका मूल्य रुपए पैसे में नहीं कूता जा सकता वर्षा जिस पर मनुष्य जीवन निर्भर है। समुद्र का हा प्रसाद है। यही नहीं समुद्र का तापक्रम (Temperature ) पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। समुद्र के सीमावर्ती प्रदेश अधिक गरम नहीं रहते हैं.। .. .. · समुद्र .पन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रशस्त प्रकृतिदत्त मार्ग है । इसको बनाने तथा इसकी मरम्मत करने में मनुष्य को कुछ व्यय नहीं करना पड़ता। करोड़ों व्यक्ति जो ऊष्ण प्रदेशों ( Tropics.) में रहते हैं और विशेषकर चावल खाने वाले प्रदेशों में मछली ही मनुष्य के भोजन में पौष्टिक तत्व है। पश्चिमीय योरोप के देशों में जहाँ खेती के लिए भूमि कम है मछली पकड़ने का ही धंधा वहाँ के निवासियों का मुख्य धंधा है और लाखों को संख्या में लोग इस धंधे में लगे हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में भी यह धंधा उन्नत अवस्था में है। विशेषज्ञों का मत है कि मछली में यथेष्ट पौष्टिक लवण है और विशेषकर विटेमिन 'डा' तथा श्रायोडान विशेष रूप से 'पाया जाता है इस कारण वह बहुमूल्य भोज्य पदार्थ है।
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