पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०

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प्रवचन मुहीउदीन मुहम्मद मोरंगजेब, शाहबों और मुमवाब महल सावी सम्दान था। उसका पम्म दोहद में मोबई सूबे के पंचमहल बिले में इसी नाम सातुके भ प्रपान नगर १, २४ अक्टूबर सन् १५१८ में हुमा। बासाहती, तीन बुषि, गम्मीर भोर विसवय स्मृति का पुषक पा। उप्र कुपन का शान वादीस का अम्पयन सम्पूर्ण पा। पर बात-बात में उन पाया था। प्ररबी, फारसी बाबा पपिरत पा। बहन मापामोनिशान की मांति सिल भौर गोल मम्वा पा । उन दिनों मुगल रम श्री परेर मापा हिम्दनी थी, पोरंगको भी उता प्रदा हान या। पर हिन्दी भी लोमिय भापतो पापावचीत में बहुमा प्रयोग करता पा। गंगारिक अम्प- साहिरप से उसे या पी। ठगणारमा बास्म, विवाएं उसे पसन्द पी। पार्मिक प्रप और कुरान श्री टीकाएँ, मुहम्मद के बीपनाच पापा से पदवा पा। इमाम मुहम्मद गमनबी की कवि, मुनीर निवासी रोख दिया और रोज दुरीन उपमुही शीराणी के पुने दर पर पर प्रेम से पदवा पा। सिकारी भी उसे पसन्द न पो भोर मान विपाम भी उसे पोरन पा। म उसे स्पापरप से मेम पाहा, चीनी के मुम्दर बहनों प्र उसे गोकपा। वीप्रीरंगो मे पालममीर प्रपम के नाम से भुगर वा पर बैठार मारप प्रअप ग्रासन रिपा।