पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०७

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बलमगीर मस्वापार और पहारकारी उस पाया था। बास्वप में या उन दिनों गोरेगका एकदम पा विधारणाले मनमानी सूट परमे श्रीधर दी गई थी और निकी ही सुनाई दीन होती भी। अपने शामाया होने के समय में शाहपौवादुगनी रोकर बा पापा तब पोनुगौत्र प्रपमे जिससे पार भार शरसार करेगम मुमवाब मानोरियों को सहे गए थे। उस समय मुम्स्वाय मरण ने उन पोगों की गुव साविर सुयामर की भी किसे उन रियों को वापस दे दें, परन्तु पोपी मै तनिक भी परवाह मकी दी। बापता होने पर शाम इम समाय पोर्चुगीजो कसरत में भूला मी था। परन्तु अप ऐसी राम सामने मा पो की किस मामले में धन पायपि देगम ने उसे बाप नागरा भी गाती बीरगम प्रशान्त हो गया। और पारसारममे मामलों में सागा, अपर और बहाना उसे मिल गया तो उक्मे कासिमनामान में एक मार्ग सेना रेकर समें गिरफ्तार करने और सादा देमे लिए भैया। उसे पोमात्रा में परिठे तो धरे र मानी पाही परन्तर असिम का ये गोलाबारी मपीको खाकप्रत में उसे भाम-मर्पण पाना पड़ा। और कालिमका पार पोगीयो परिवार सरित रक्षापा । इस दिशा में कई भागनिपन, भारमीनियन और पिर पारी मी । सिमला परणार सामने पेश किया। बादशा मे भरिलो र बने और समोरशों और रविवार में राममै पाहुबम रिवाशाहों इन मियों में अपने मुगरियो पर दिया। येति सदर वी एसपने दम मे रख लिया। अपनी औरतों की प्राति दिए और मान रवाने के लिए महतो मे सामर्मस्परविवा! मोरिने भएकही माग पा।