पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०८

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दुगक्षीदी ६१ परन्तु पादरियों में अपना धर्म बदलने से विकृत कार र दिमा और काम पर के मरोसे है। बारग्रार पारेको परे। एक मारमोनिमन अमीर की सिफारिश स बादशाह ने उमें प्रायदा से मुकर दिया। कुछमारी रकम देकर उनके दो मोरपियनों मेचा लिया। इमी दिनों में एक बाबियन साथी, विप्रहर दिसा गा पा और बिसेष समाग गारे पोहों मे बिपारस बोल पारेराह पे कि मामला उपाहा वो उसे प्रये रामो पर ऐसे मामलरीगरो श्री त्रिी में कमी म भी न रदियों में एक प्रमिम स्मिय मी पाबो गुव प्रया गोसार था। सके नर मेवारी मुनर दाय ने उसे मृत्युदयर से मुजरा दिया और अपनी मा में रक्ष सिरा था। मुखदरा से मुक्त होने पर इस अंग्रेस ने दारापुरमे के लिए उस बामियाना मागे भाव उससे भी। उपके रुप मापस भी आपात पलान किया और मा-"इदर, बेसारको माप होता कि ग्राही हरम में एक मी नानी कबाड़-चारी नहीं।" उतने गा मी बता दिया रिपोहो मे उसे अमुक पान पर बिपा रहा और चे ठसे भीषने बैठोठ मे। दारा सियो प्रभाव ग्रोधीन था। उसमे सिप वार बार गुदम से सवा देखा और प्रति झमर न पदार उन पो से वसे सरीर लिया और पे तिी से रख दम्प में पर्यनसलिए बमें दिखी से परर मेम दिवा । बबादिवाना बौरी दायरे पेय मास में पहुंची तो उसके स चौर पमा को देस र माल की जा और गराई । उसने बहीनी मौन पण बोपारा मे तस्त्रा पूरी का ऐसाठे होसते ना को समाप से मसिनी वय यने । पारसी मुबर पोर मगहर पी-4ठी ही मुहर और शादी भी की।