पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१०९

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प्रासमगौर बदिया श्रीमती विसापती एगर पीती और शराब के झोक में मनमाने स्म भारी रखी थी। इदना होने पर भी उपने दारा ने अपना अंग मे नही दिया | उनमे सामरिया-सात, या मिश्रा न पदाएंगे-म न पा सगे। म हुरीसारी नी मसिप पना चाहती हैं। परम पापी कठिन बात थी। बापशाह विसी मी हासत एक परमद गुलाम को मम पसाने एबी नहीं हो सके। इस पुलबुली और मजरेवानी गुलाम को सदमे में बात पर बादशाह ने मनी तो उसने बहुत माग बाहिर की और इस रेसायरा परंवारे लिए बाग मे बार सब बिका। पाप उत्त कोरी पाने के लिए वना बेचैन हो गया किमान देने पर आमादा गया। अम्त में उसने अपनी ही पान बी बेगम पधारा सहारने का निर्णय विपा मोरया उत्तरे पास गया। मारा देयम मी कब ऐसे ही मर्च में मुरविता थी। रमी प्रफ्नी शादी कराने में मुगलमा विपरीत पी। वह पाराश्री मदद माय पुध पी और दाग मे उसे बचन दिना था कि पाया होने पर प्रपरप उसकी शादी उमरेमनचीवेजारमी से ररेगा। इसी से पेयम दारा ही वादगार बनाना चाहती थी। रा ने बहिन मुनामत र वसे रस प्रम में मदद मांगी। १८. कोश-फार पनीमार प्रयसी पेगन के मन में उपहार, नापारण शिधार पर माईनाम मे बिसरमापीठ प्रारम्म । पारगम मे प्रा-"प्रपा १० मा गया है कि हमारे रिकारे भरमान पूरे हो और विरार, मेरो गरी उम्मा सिप पर होtr