पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११८

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एशिवकुमम सर में मा-"मेरे प्यारे शोहर, इमे ही दिनों में मैं तुमसे या प्पर पायबिम्दगी पहात उठा सिपा, अब मेरी जिन्दगी में मिरी मिल गई। मैं नागारदी गई। मामगारे हायर न रही पारे, मेरे पित विस्म से उस नारा कुसे मे छुमा १ मैं उनमें न ऍग्ये, न एंगी और वानामत में तुमाय स्वबार बढ़ेगी "मपर प्यारी बेगम, में हमारे बिना से दुनिया में मिलाया। मेरी स्थिती सुमारे, मेगावो में विमा येथनी। मारे सिवा हुनिया में मेरा नहीं।" युभवी की मौत से परिपने सगे। उतमे पतिरापरे प्यार से घूम रमा-गाना पहेमा- मेरे माहिर में बिना नही पसमती, मधाबादाना नही ले सक्ती, पार! उपचालिम मे न मासूम मुमती रिवनी येवठ बमबोर मौरतों को पसंद किया होगा। मुमरिन प्रस्मवस्येश न हो, निरव मुगल बस्तान में एक मी ऐका पादुर प्राइमो नहीं, मोहम किसों को उस माहिम मेदिये से पार ! मेरे प्यारे मालित दम बाराको शिवदता सोपे।" "मैं वादा करता है माये, कि मैं मारी गुर्मवीर पासाममा पैन से न मा । परमा नरी, पारे भान मी पनीर "को पाप, फिर मैंपसी प्रयी से मर सवी व मुफैका प्रस है। "मगर मेरी प्यारी यम-म अपने पयरेको परसो, सुरालिये मुझ पर यम कये, मैं उसी ३५ पपुवती बना कर रस्मा ।" "मही पाये, मेरी खानामहीं देती, इस प्रहीत होर मैं किस तरह बिना पसी । मी, नहीं, विधी मी परम मही । माधि, एक मर्द य म मुझे मिदा परना-म योग फिर मियमेर से ही पाकता से उस दिन पे-बालम