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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२

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पान और पटाहो की प्राथाम से दोनहाया हुमा 'सुपार' पिपाहता या भामा । सूरत मुन्दर में उस पीदा किया और पाबा भोरंगयष गर गया। दार ने और सहावी से अन लिया~मोर 'बहादुरकी पदो दर उस राता। पर इस विपी सास लिए पार से उसे गया औरंगा मे पा-rea में में बदि माय मो पावा वा शर्म की मात थी । मोव वा बारणों पर मी परदा सती है। १५ दिसम्बर १९५४ धेगा औरंगा केवल पन्द्रा बरसा पा उसे इस बार पोहोकशाही मनसब मिना पोर इसके एक पर्प बाद उसे तीन मेनायो प्रविठि बनार पुरेसा पर ग्रामर करने मेडा गा। इस मुहिम ये उसने एक दो मास में परिपा, भारदा प्रसिद्ध मन्दिर हरा दिया और एक परोपका सूट का माल पर पारिरा। १४ बुनाई का पोरंगका रदियो सूर्णा सुपेदार बनाया गया। श्री स्पिति अब पनीको पो। ग्रामनगर के मिशमशाली गम के प्रतिम मुमताम हुसैन शारे कर लिए गए । पर, मापुर चौर गालपासुनठानो मे अपने गम्पों से मशन प्रहमानगर गम हे पुम प्रदेशों पर अधिकार कर लिया गा। शिपापी पिता ग्रारती ने पैगापुर गरम भी नदाफ्ता मे एक नए निमाम याद मुलतान प्रामानगर गग्य सिंहासन पर माटापा पा, मास्तर में उनकापपुवली या 1 पासब में शाीि प्रामानगर के मयि प्रदेशों पर पान र न।