पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२०

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दलित सम बहस मच गई, और बा की दर सुन्दर और बोमा परमव बानी हमेण लिए उप हो गई।

२१:

रोशनमारा मो नौक्त बसपी थी। शाहबादी रोयनमारा प्रसाई-सी अपने कमरे में पान मसनद पर उदक गई। पादप पी। कुखचिम्तिव मी थी। परन्तु बाम्नाकीवीपी पमा उसी प्रोतों में पी-और पिसी उपेक्ना से उस पोय प्रसाधारण रीति से लाल हो पाया। पहटाने की महीन मधमाश्री वीही पोशाक पाने थी। फिर भी उसमें उसका मनोरम एरीरबन पाया। उसपर मुनारी बरीम निक्षमत मीस काम मा पा । उसकी चोटी निहारत ममत से गुबी बी और मुगन्धित देशो से वर पी। मापे पर बापरवाही से के रोगी की एक परफ्त श्री मोदनी पड़ी पी। उसकी गर्दन में पांच बोबो हाही एक मासा पड़ी श्री बिसरे सिये पर मोतियों के गुम्ये सगे थे। यह माता ससके पेट तक खटक रही थी। माथे पर मोतियों की वी पी बो उसी चिकनी भही शशि परब का यी पी। उसके पास ही एक पाक वो पापित मीच में प्रस्सन्स सेवस्ती एक माह बाबा भात पास मोती थे। भनों में बास पे। बातो पर एक पिमित्र रा मत पापा, बिटमें प्रामानक पो-बो हीरे बोबे। माई पर नीलम श्री पापियों की बिनमें बगह-जगह मोतियों के गुप्फे नगे थे। उसी प्रस्पेड उगली में अंगठियों थी। दाहिने हाय रे अंगूठे एक भारी बी बिट पाईने दिगिर्द मोवीबो मे। कमर पाये मोर नेपोभंगुह चौड़ा परसपा, बोबडी प्रीपरी से बबाहराव से भरा हुमागा। प्रबारद के दोनों लिये पर दो अंगुत