पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मालमगीर हमी पाच-पाच मोठियों की सरकारी दी। पैरों में भी पापये श्री जगह पोनर मोतियों की सरें पड़ी थी। पोशाक में सरायर पी। कुछ देर शाबादी पुपचाप मसनद पर उठेगी पड़ी रही। फिर उसने पता दी । एक माँदी में प्राकर कारबादी प्रशारा पा उनका का उतार दिया, और पैरों पर एरीमती नगा दिना, इसके पार उसने यया मुपपी मोर नाम सामने पौड़ी पर रख दिया। पर पुमान् होकर पेगम के पात बैठ गई और पाम मर-मर र देने समी। शामापी उपचाप या सिद्ध मदिरा पीने सगी । दो-चार पाले पीने पर उठने बाँदीको गगनी वेग करने पोर गानेवासियों को बुलाने की प्रामारी। पग मर में कमरे में सुरीने गायन स्पर-सारी मर गई। गानेपालियों वपि अपनी पसाएँ दिनार याबारीमा विपा चार सी यी परम्तु शाहगावी का दिल प्राबर न पा । शराब और डीव दोनों ही उसे मदम न पर सके। उसमें सर पर गामे वासियों को पो पाने पाप से कित थिा। उस समय गया की ठबना से उसमय हासो रहा था। उसकी म मोदी प्रमिया पार गुपचाप दाम पे हुक्म इन्दबार में पड़ी थी। गम ने पूषा- "त्परत हामत व छ कहाँtm "हुनर वे अमी गुस्सलाने के दरबार में।" "मा पाकऐनपीस बनामचा मुना गया। "मी मी दुसूर गरापर इस पक्ष र बनी गम से उस परूरी मचरे में मशगून " "मोर देलविवारऐनगीत या ना तार मुनाता है।" "बो एम " "बर, अभिमानबीन भीगरोगा ने सर्वे मेरे