पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३३

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मासमगीर शार पाहो पाता, पर महुमा उमें अपने मुजारियों ने पद पर रसनामारवा या। इस प्रकार उसने दारा और बादशाहम दिख मी में किया पो उसमे दाग मिला कि आप किसी पर पों से मेरी पसी करा है। में पाँबीमार रावा और पाँध बसपा मेरे प्रमुरा नही । परि मुझे पिप मेज दिया तो में प्रतपय से पहाँ पाना सीपर र मा । परम्त मात्रा में दधिप बामे म उस पर तरेरस पर पाकि मोगरा और बीमापुर की राबपानियों के निकर यमे से उसे अधिकारी प्रति सेना रखने और कभी-न-कभी उन सानो पर मक्षा करने के मुपपपर प्राप्त होती जाये। फिर यहाँ भी उपबाऊ भूमि, हीरों की माने, समुद्र किनारा, दया माँ ति मौसिकी वस्तुमो प्राप्ति की अविधाएँ पी। पातु मूल पारा इन मावों पर विचार नहीं पर भी उसरे मांसे में पा गया | उहने मारणा को समझा-बुझा कर प्रौरंगा को दिन मेमने की प्राश दिलवा दी। पारा मे अगुव काम गस्तीन और को पत्ते बाप हो। सरदार रहो, पक्षानोगे। पर उत्तमे सि कर टाल दिया। दक्षिण पपते ही मौरंगजेब ने पर फैला दिए । उतने पाते पौरंगामाद नाम का एक नया नगर बसा। और पहाटर और पदिपा-दिशा मात बना पर अपनी कुरिन पजनीति का बार पलामे लगा। माष मे उसका पर बल भी गया। मौर गुमना की मैमी उसे अनापारी मिल गई। पाठकमानते ही विस प्रशर गोशापुरा पर प्रपतर पार सहमे छापा मारा। पपपि पाणार स्म से उसके पंजे से गोशात्रा निकल गया था और इससे या बहुवचीम मी गाप, परम्न उतने उसी प्राचा मारोती । दोनों