पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१४८

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मागेपद लिया। दरी समय अशी नामसरा सरदार मीमा पारम राबतीन वारे में सूट-बोट भने लगा। प्रमी त प्रतिक्रिया को एक वर्ष मीन बीता था कि मुगल साम्रा पिपी स्पे प्रमान नगर प्रहमदनपर पारदीवारी का न मण्ठा रबारों में उत्पात और दूर मार प्रारम्म कर दिया। जब प्रहमदनगर की नाक पर बमे पेठ नगर पर मराठोंप बाग पा- मुगल सामान्य मे पिता भार ली। उपर शिवायी स्वयं भी उचर में हुम्नार सानुध में पिरगदी मा हे। ये मौन पाम एक पिय पर में रस्मियों की सीदीमा र हुम्नार पार सोहोरेर गए और बार पारेदारों ने मार-बार र बोन मार और दोनो पोरे और गुर से प्रापर और सामान दूर ले गए। पारिौरमोबाइपर मान गया। उसमे नसीरीना और की कमान में तीन बार सबार देर बामपनयर मेव दिया । उबर सवस्व गो ने मी पपारगुणा में मराठों से एक मोर्चा दिया। उपर गिजाबी से मतीरीका मो मुठो गई। अब मुगमो सेना शिवानीला में पुर गई पोर गांव को मनाना, लोगोमा करना और एटमा प्रारम्भ कर दिया। रवी समय मागरे में मारी मार्ग परनाएँ । पादशाह बीमार पड़ गए और मुगल सम्मको प्रविष्य मे चारों ओर से चारमा मे मागरेपी भोर मरिनापापा औरंगजेब मी पक्षिय से पह पड़ा। उपर मुगलो से लगवार साये गने से बामापुर सरदारों में मनरप फैल गया और बीअपुरो पोर मान मुरम्मर श्री पार रामी गई। प्रवा प्राशिवाय प्रश्नी मामाचा पूरी करने का पूरा प्रबटर मिल गया। उन या में श्रा पान थी। पश्चिमी पार पहारे पार रस में पा पम। मामलोबाना बिता पाता, वागामार मात्र प्रभाग ५। पाँप्रयाउन मसारव मुस्तामामा नाम भए