पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१९४

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2 मुवासिबीर fot रोखमीर औसवा एक विद्याम् मित्र पा। उससे प्रोसन मे पूछा-सा मोवी इवनी श्रीमती कि उसे इवनी प्रथपियों में खरीप सिवा पम । इस पर ग्रेशमीर मे पार नीची रोमा- 'बदि हुए, उसे बोबो गुव से माती नही सरीदना चाहते वो से ही मरीद मीबिए, परन्तु मेरा दो पर लपातलाप इस पन से मए सिपाही मी करे बिनकी बदौलत भाप इसे मी उत्तम पहुव से मोती परीरम। मिनीस बात से पोरसवेरा से गया और शेखमीर की पाव उसने गाँठ बाँध की। दूसरे ही दिन से बुरहानपुर में भोरणायेग मे नई फोग मा करना प्रारम्भ कर दिया। उसमे अपमे विस्व अनुषरों से समाज की पा लेरात हिन्दुस्तान से कुफ उठाने में काम पाएगी, यह अपमा। मोरहा इस प्रकार मवेदन कर पुधामदियों मे उसे 'मुवासिब-कर काम उसकी ४.: भपनी-अपनी डफजी-भपना-अपना राग या पदार-याइयों पसरा पुत्र गुबा एक मुरिमान पुरष पा! पासमान प्रबिनम और सदास म्पतिमा पर मा पापमान और प्राससी था। इसी से उतरे शासन में सादीत दाबनी रहती थी। सेना मी नी भरणों से उसकी मुगठित म थी। पापावा वो परिमम मो अपनी गम्भावस्था और सेना से उच्म ना सवा पा। परन्तु दुर्भाग्य से मामी मी सामान म यता पा। वाहमा बीमारी में प्रविशयोक्तिपूर्ण बरे उसे पंगासी लपवीन रावपानी पबमार में मिली। उसने उसी समय अपने को