पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बारे सिसव “ठरवाह होनी बीपी बिसे ग म विवस्व सिसगाव पाने नटीचमा ताtin "और उममे अम्माधुपये मखी करके यार के सोपों पण वि। म भगालत को वापस दे । दाप-मेरे बेटे, एमको शिम सतरे से सेहोश हो यह मी पाद रखना चाहिए जिसमी बादशा दी। मम दे कि पारखाना और मरम्मद अमीनो फौरन कर और अपने प्रमीयको दुध और इन्वय और वानवारी हाव से म बानेश" बाग मे परे। उसने धमना पाह-पर बादशाह ने रणवीसान से मा-"सामोरा ! मुहेमान शिकार भदोर भाने र फर्मान मे दो, बार रखो तसर्थ यी पादसे मत बारव ोगी" रचना बार बादशाह ने रारा रे बाबी अपेक्षा नही। उपर से गोने में फेर मिरा और मारा के माया बसमन्व विचार ना उठाई। महाग पवम्त विद, राम मुमान गि हमेसा, अमर सिंह पम्द्राक्त, रतन सिंह राठौर और राब राब मिधारिप दुरधाप मारगार प्रामकी प्रवीपा परमे लगे। बारपार मे मा-'मायणपत जिभार प्रदी पर भानवे किस्ममे रमेश प्राप के सार महाई की और भाप मारे अमर सिंह पर मान्ने मारबाट बाराबा सखीम सिा। प्रम भाप से उम्मीद करकरे लिए माप अपनी निम्मेरीकामास रखेंगे।" मायब बसवन्त दिने सपने साथियों की भोर चिपी मार से देता और कहा-"बारनार, पार हम राजपूतों ने तम्व सपा बघ्रएर पाईप पवार ने अब रापपूत सरदारों मोर मबर ठगई।