पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२२३

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25 पालमपीर चारा पिर परेशान और पराग मया । प्रम वो उसे वगनी देने वाला पान पररगार | उसमे किती पर नापी मिकी दी और अपने सामान की चिन्ता में पोर-पूर्व कामे खया । पाकमी कामी के पास प्रता, कमी पफ्तर है। कमी बियामद करा, कमी किसी की। पे पोर प्रमेव भी प्रफर की को गर्म करने से घर गए । और उसी पल की पो गए। इस पटना के तीसरे ही दिन में दोनों प्रतिम एक मोर अंग्रेज वोपनी लेकर सराम में पाए । उनले साप पर पाश्मि और उसके सिपाही । प्रार योने बिरसे सारेर महामत की, और उस पर बातें करने लगे। इस समय बह देखी लिबास पहने हुए थे। रेमिट मे पूछा-"पा माप के पहा मामेरामवस" "हम लोग अपने मृत रिश्तेदार मास प्रताप ने पार 10 "पानमाय रिश्सेदार" "नि मन " “म मोशिए पारित है।" "पानी सर पर अप्रेशर बिदा रसने लगा। रेपिर मेमा-मादमारे पास सिलिव सबूत है" "तुम क्या भी हो सम्व रिसाएँ ।" गोने की सरफ से मुर फेर लिया और हाफिम मे सब मान उनके हमारे कर रिमा। "पिन में अपना माल वनी प्रागनी मे नीतेने र्मा " परमरर मे पिस्तीस निशात सो। इस पर सम्मि मेप्रा-"मगहा मे से नाम महीनो पास शादी सम- मामा ।ससे मागरे पाएंगे । इम मीपले पायो और प्रपन्य हापारिखमोल विर मेला किन बदमायो सेपाय नहीं रहेगार