पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पुरी सुपर परमव की हार की सार पहुंठेही, प्रागरे में पादम बामनी डेरा गी। बार का गिर गया। पत्यार मर से पीला पर गमा पोर दागप्रेष से पोसता रहा। सपरि सवमा परा मे पाव मारी मेनारक्षिा पाससाई यदि सम्बे और ईमानदार समापतिसराप में होती तो विषय निमा दापोहोती मोर इस समय मी पोरस गप पामीर हमर से समापन पी। पामी पड़ी माँदी थी। पण योकी पाव तो पाकिबारे सरपार गरा से परश्न पे, व धोरता से मिट गए। रिटी पर मी मोठा नही दिया सापा। दापके दोस्तों में सहार दी किमान शिौरने डर ठारना चाहिए। पर विदो दाय मे यहीमठी सहा भी नहीं मानी। मानापन पर प्रम्ही सेना दी पीरपाठी और पोर मार वा सेनारद मी ये बिनसे बात साम उठाण गामा। पारने पर मो पारावा किया सम सक्षेत्र में पते और सेना की कमान प्ररने हार में है, बदि का पाठ मी दापीचर र सेवा योनिमा गुत माया भी, हरिरामो मो दो पापणारे सिवा प्रमोर पसार न उठाहा भोर सेना मी मे मा बिधा दिसायर मापारिबार हामत मर गए ६ परनिरी पाये। परनु भणी पप उसे न करने वालों ने मापदी पदाई की कमान अपमे से कार में रसे, रितसे फा प्रकल्प उभे सिर पदणार यदि युद्ध में मरा उमा नामोमा पात यो