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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२३१

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९१६ प्रासमवीर मे मुर में स्वयं चलने विचार पर या तो पाय मेमा- इस्रने गरि कारावा मिा तो मैं पी गहा पररनरेगा। पारणामाचार हो गया। उसने दोनों हाय उपर उठान कहा-'पा पर देरी खाए और ना वपाप्रमाने के सारे प्रतिपार पायो मॉप दिए। पाय, कोठिी की सवा मही मानी इस भी श्म भरण । पादसे मोरंगमेष से मिल पाना ही पसल मा पा । परिसा परमो मापा कि यह सोचता पा लिममी पावणार मेरी मद्री में है, उस पर पूरा मेरा परिधर है। दूसरे व उमा क तमाम समाने और प्रामदनी पर मी उसी काममा था । वीवरे शादी सेना भी उस समय तक सीप में पी। चौपा ममता पा लिषा एकाम न हो तुम चौर मोरा सपा मुगदारी प सेना द्वरत रोष शतना प्रब बहुत मासान है। उसका रिमात पा कि एक बार परम फिर किसी प्रम के न रोंगे और पा एमम निगाह बन पपग्ध । बारमा बदेश में गए दोन पाने पुरी मही और करिब हो पाप और पोरगर सपा मगर पने-अपने रुषों में मोय दिए बा । पाएमा प्रमुख हो थप और जगम्- पपमे हाच येते । अपने,मेरे सजवान सिटी प्रवर से प्राप होने के पान पर पा सयमीत हो गया था। पर सोचने, समिदि रहो मामे पार उती मर से बीव, दोन बामे पारगार और पारिको वारी से उसके होसले विस पर पदमा और फिर उसके रिस में अपने पारी प्रतिभा और प्रेम स्थिरपान से। उन रिनो मुगलोर शाही रकम ऐसा ही दौर-गैरामा। ला बातो को विचार कर उसने सेना को तुरन्त ष रमे की भाजपा पर सिए ने भाग लेने वारणारी सेवा में उपस्थित मा मुद्धा प्रसार परेको यो सगावर रोने लगा। 1