पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२४

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वफ्ठे वाम बाहरात हरम में पातियों के पास पते थे, शेष दोन रोग पये मूस्प के रख पाएर प्रेत दासों के पास पते थे। इनके सिवार दो करोड मूस के रख शारदा, शाहमादियों नपा सम्म लोगों के पास पै। पादचार मे कीव पामों के पास बोरक्ष मे उनमें से कुछ उत्तम रबिनका मस्स सोला साल पपा पागुनकर निपल लिए और उरभरी सुनारों को गुलबार सारसपा एकसान तोता बाना वित्र मूस्प उन दिनों सिर्फ चौदह साल पपा बा, देर सुनायें के प्रधान गादत काँग्रे हुस्म दिया कि ठोस सोने प्र एक ऐसा रख परिव गिधासन पार पणे बेवा पुप्पी पर किसी पादशाह के पास नो। देवादल लों मे दो तो पुने हुए परीगये की वाणवा से पाठ प में ना तस्से वारम पार किया था। यह विहासन सादे तीन गम नम्मा और सपा दो गय पौरा क्या पाप गम पापा । विरासन की बकरी के मीरे हिस्से में मीनापरी की पी। दवरी के मीतर बहुत कम हीरे पो पे परन्तु करी हिस्से में प्रसम्म बहुम्म्म परपर लगाए गए थे। पन्ने के बारह सम्मो पर विरामन को वन पी। उनके आर मषि-मुचा के दा मार बने हुए । इन मोमीप में रोग ला एक इव बना था। गदी पर पदने ग्रेवोन तीदियाँ पी, सीदियों रेलिंग से पिरी पी। केवल सम्रारी पेठ के सम्मुन्न रेनिंग नही पी। रेसिंग के मीवर समार पेठमे में मम्न मा । न बैठक बनाने में दस साल पर तप हुए थे। इनमें एक एमी मागीयो रिमका प्ररेती भी मूस एक साल सपा पा। मणिग्रे परत के शार अम्बास ने समार पहागीरको उपहार में दिखा पा। इसमें वैमूर, मीर शाहर, मित्रा ठन्नु मा, गाह प्रमाम, बतौर और गायों के नाम पुरे ए ५। निदान केभीवर राय मुहम्मद बान करणी की बनाई माहीत रियों