पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२५५

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प्रासमयीर दिया। इस समय उसके साप सिप पाँच सोबार में बिनमें गत से यो उसके पर गुलाम और सेवकही। बादशा मे को शाही माने से होने की मुहर बादपर उतरेला मेशी यी पापा अपने पास के हीरे बाराव और नम उपए मादिबोचइतबादी में पासापोसवा पा से लिए। पा प्रतापी रामकुमार, भावना के समय तमाम मारत का शानणार होने सप्न देशहापा और प्राव सुपातको बड़े एबपुस बिसी र केमिसारी-प्रामात दीन दशा में पर सेवा पा पा लिया भी उस पर दया भा ही पी। भागरे में मागरे पहुँगर-नगर से दो मील दूर नरमविक नामा एकको ग्य में पौरखमेव ने पाप गता। पारे और बास्नोम पूरा प्राप Rो उसने एक बार करार पर गारी रही और उसे बन मनाने में प्राध र अपमे गाए हुए चामोरेवाने-बाने पर विचार करमेसगा। सबसे परिस-यपी औरत या दुचना मिली कि एरा मे रिती की पोर न किया, उसने तुम्त प्रमे साहसी और विचाधी सरदार गादुर ला भी अधीनता में एक ममदत पोखा देकर उसके पीछे मेश दिया और माल पारीक रिमो-पायरे सब रागों पर गोपियों बैठा ऐ और कोई प्रादमी पाप भी सामान ठिी मी पस्ते से आराम मिल पाए । इसके बाद उसने गारगार एक निमा-उत्तमें मिला था- "रा शिमोही पाई और पेच बपाशाव परत ये यो बामात पेय पाए, उनके लिए मौरस बहुत ही रंग और