पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२६४

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प्रमान घोपनी मम सहारे कि बाहर फूर गया और उसके पार उसके प्रम्प नापी भी । परसबरबा बागार मन्त्र सिदमत गारो भोर सिपाहियों कोनगी तो मी एक-एक करके सिकायो। प्रवेश अपनी पानसमा मगे । अब तो बोधविराम मगा पी लेबर माग निहा। सास लिषमतगार मोर को-को दीवाने सास और माससग पर मुहर पे- मी माग पते। इस महार अपने समय सबसे बड़ा और सबसे अमीर बाबणायाम इस समय प्रस्मन्च पदी रायमा, दोपपनी ही परक्षा से रखा पा और पिसे अपने प्रायोकी मार बसी विम्वा थी। दान दिन उसमे बको कठिनाई से परे। इसी समय उसे मोरानाभ मरीधा मिला। सक्षम "मुझे प्रस्तोतमा समों में मेरी तरफ से वासीर है। मिकी पर तो सिवा कुछ नही में बीमार पा और इसी पर से हाजिरी से माना। इस प्रकार में मेरे मनपसे सिताहियों में अब मारविर्क की। बिनके लिए मैं माने का मानगार और मरवाकर मेरे मेरे मुहम्मद मुस्तान में हविर होमे और ग्रादाब पय सानेगी बात पर। सेदव ठीक होने पर बिसमें मम शुण अब रे नी 1-4 वर वारदाबी फरह हासिया ग्राहकहाँ मते विनोबारा मिला और उसे इसमें अपनी कापीज सवार प्रापानी। उसमे लाख मोतीवार पर लिया और में ठाठ-बाठ से मुरम्मर मुस्तानी अगनीमारी की गई वा उसे मैंने प्रेमस्वपान किमताच शान मी माहिए । गरणा विचार मा किरण पेटेग्रेजगातार औरमजे को काम र रिण पापा, ममर मा महा बानता था कि उसे को