पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२७३

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पासमगीर मगर मुमे पुस्वा पर मिली है कि हुजूर मे प्रयमियो से बरे हुए रोपी उसके पास मे, निसे यह नई पौष मार पर इस भरवाई को सितारे। पर हुबर दी मौर पाएँ, मुझसे इन हरकतो रे-को पर्षदो मामूली वरीसरे शिक्षा और समत मालूम होती -सरबद से बनेपा बास मा राप सिह पररी नहीं है। इन बातो परवा- किर और किए गए और प्रदाना खिदमत बनाने के लिए मैं इवनी देर तक सूर की सिवमत में हाबिर नहीं हो सभा हुजूर से पामा मात्र त्या करता हूँ कि मेरी इस हरकत की वाममंगेत प्रारिरी पूरत पर समास म फर्मावर सिर्फ चन रोग बिए सखाप पश्च। पिरम्मोही पारा शिर पैन । मन में साल प्राप्त होने और र भौर समो कसीफ पहुंचाने के अविस न रहेगा, स्योकी में मुवानपुर किते की तरफ ोा बना पाउँगा और एवर रसाने का दरबापा अपने आप से बोबार आप बार प्रबकाँगा कि कुष-यक नही बा पदम पूरे वारणार ने दोनों पापों से अपनी पात टाप सी और उनकी पठी सँगलियों के बीच से भामुनों की पार गहने बगी। पीर तक रोसेने के बाद उनका मन डर हुमा ता उगोमे दूर पर चोरनी में बिखरे हुए वाय की मोर पसी की। फिर कसरी समयदर ये मसनद पर शुदकपए। भगता कदम परेमापोरकर, रिक्ष की मारेकची मबत कर पा मोर चालूमो का पास पिता, प्रागरेश्री देवारी पारस्वा सौर, भानरे का तमाम सदमा पहार, भौरब में मुराद श्रेय ते