पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२८२

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सुनायपास "मनात दुखी । मगर का पहलापोणी लिए पारयाद दुनरे पर वाय, पारि अपने पर में हिमसब सामान मुबा मा पर उठने मुरादरे मोहे की बाग मोहनी चाही। मगर मुगद ने बोय में प्रार पोरे ए मारे और प्रागे बढ़ गया। इसपर बाहीम मे नितारमा- "बार पेशमाने बारे शाइनामसा में यह भावाब सुनी। बा मोरे एक देवर मामे बदा भोर मुगद के वाममे बाकर मोक्षा--"रा भोर रसूची इस दाना अमीर ी बात मान लीथिए और पीयेसोरिए।" मृगव ने बोय में भाकर वसवार की मूठ पर हाप रमा भोर मा- अपमान से पापुर मेस्स" और प्रमप्रेरित की मोति मोडा दौडावा औरत की पानी में घुस गया। साटिर, हुन .६३. पहिला शिकार मोही मुगद मौरंगबेर के सीमे के पात पगा-औरंगजेब पपमे सब अमीरी रिप बाहर पार सध अभिनमान किया। पौरपणेय ने उतरे मरी गर्द और पतीना पो और मनर पर बहार सर्व श्री बगल में बैठा। प्रोपरा शिपार रेगर औरंगबेर ने ममवापूमा- "पाप मापने पहिले ही प्राने को हिणवान भ वादगार पोपित र दिया है मगर भाग के मुधरक दिनारमन पामार हो गए, और दुसूर की यमरत पोर नाम कमास को पहुँच गया-म