पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२८७

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-२०१ प्रादमगीर प्रमालपूर्ण समा-कोर सादाबाद मास का परबा और ममी उपम पमत राजु थाप पास में अपनी सी पारी कर पापा वितरफ से मौरंग कार नही हो सकता था। पाप पनि त्रिी पर पुश पा और ममी का पानी पर की जटपर में सिर पर मोजाये उसके लिए उप मी कारोबस्त न रसका पा। खिी परते-पहुँते दारा ताप पाँच चार पार पमा हो गए पे। अब उसने दिल्ली पबिते हीनो सेना मा करना प्रारम्भ करा | पन उसके पापापी पा। वारणार ने उसे दोहरापी मराफिक से हादर मे पे। उसके पास मी पाणी दीप, मोती, सोना था। फिर विनीते से मी उसे मारी मदद मित गई पी।सभरण इन बीस दिनों अपमय मे उज्ने एक अप्थी सेना पार र पी। भारत में सब सूचनाएँ मिलती राती बी। अब सबने बहादुरजों परबदल गरेरदायोणिो से बने और मन्त र ध पीहा करमेये मेगा । पर एबना पाते हो दाप मे साऔर की तरफ पोशरिण। पापत दिनों तक हार का सादिम गपुनया और इस समय यहाँ प्रसकिम सपा विपक्ष सरदार गैरवगाथा। जिी से हार पहुंचने में उसे मात दिन सगे । यहाँ के निहार ने सती पूरी पहाता की और पाप प्रेस पार ऐना पर ही बार ही नुकसान मोर मार पाये पर मी बौगि बैठारी और बाती पसरवा पे नाहौर में किनी में संशन हो गया। मुराद की और अपनी संयुक्त सेना गठन करने मोरनामा मरपाएँ करने में प्रौरसव कप दिन मपुरा में भरना पड़ा। अम्त में गुसाई उसने रिशी मोर परपानमापाँउमा माम से स्वागत किया गया। रिमी मुगह तामापी मई पबवावी बनाने विवरी