पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२९

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माशमगीर धीरे दरबार में पाये रे बदा। पर प्रादमी ठिगना-पतला और फांक्षा था। उसनसगोय, नाक उमरी हुई और मापा बोग पापा एक हमस्म हीये का वरपेय पपगी में सगाए या । उसके गले में भी हीरों का एक प्रमापाठा पा उपप्रमरपद श्रीमपी रखो से पहा था। उसके दरबार में प्रासे ही हमचा मप गई । मस्पेक मछि उत प्रमाणयाती पर पुरुप प्रेतुक और माम से देखने लगा। वारि उपर रेवितो गरे। प्रतम में यही नामकिपा बिसके स्वागत के लिए प्राय दरबार की धूमधाम की गई थी। भादमी का नाम मीरजुमला पा और यह गोलमा पापणाप्र प्रमान गरीर पा। इसी के लिए बागार, शहर, पिसा और परमार ठीक उती मावि साए गए ये बोकि सास बादशादरे लिए सबाए बावे है। मीरखमाला के पीछ कई शाही प्रमीर पे को बादपार के हुक्म घे उसके स्वागत के लिए मेये गए । मीरमका परके चौसरे निकर, बापणा से कोई पचास फुर अम्वर पर भारतासे गया | फिर उसने पीन पार बमीन तक अमर पाया प्रेमापाव किया। पारश मे मबर उठाकर मीरजुममा की पोर देता मोर मुस्कुपपा । मीरतुमक्षा मागे पदा और मुनारी ध्यरे के पास बार उसने फिर तीन बार मुर पारपार को सजाम किया | अन्त में मुसर वक्त को पूम गिरा। फिर उसने सादे बारहमास पये की प्रापि, कब अपये मोदी और गास बारणार नबर दिया । मिसन मूस्य १ सास पना गा। इस सिषा सोहा बुने हुए मधीच नस्ल परवी पोरे, पाम हमारे और एक ही प्रहार बापणार की सेवा में पेश बिमा । जप ही बहुत से पास दो फों और मेयों से मरपूर ये, नगर पिए । इस पर पर दव परम पीछे रहर पहले सारे मीवर पनीरोंगल मे सहा हो गया। 1