पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२९१

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पालमगीर होता जाम हो बुध। एग शिकोर बरोबरगार होर बाल बामवा क्विा ममे मीरपासपी मैना, किया गिरफ्तार हो चापगा।" रचना मन उसमे अपने ही मोविले की मासा उगार पर पप गरग में जगह दी और मा-"मारी कोष निहायत यासलिए भाप र परमागे मर जाऔर पहुँबाइए। पर्त परमममी मुझे प्रमेण है। मैं पापको पावर वर वा और तमाम प्रस्तिनापत वाम मीतपाल भाषामिहंगा हो, पचास होने के पीछे मुझे मालिक असमान शिर मुमामिले में मापने को प्रामारी, उसके शिए प्रापथ गाडिया प्रान्त मापने दिलेर वाकई कोसा। और, मैं बसे ससा पर मारहार फ रेयसहाफिया मुलेमान शिकोह की दुर्दशा पारपुर में बार बार एप परने की मोर मागा को रखने मुपैर में भारत और दोपलानी मे जय रास्ता रोक लिया और पर मायम मिर्गा पा रसग की टीम मान र मुखेमान पिऔर उतरेगी और पसा, वो उसे मुंगेर से परामीड इशिव-पत्रिम में इबाद में ही भरना पापविली वर माँगे गद मी उपासी उसे परमती पत्र के समाचार मिहे, वो सतने भावार होकर गुप उम्भिरी और दो माह पूर्व मिार और रहावाप्रपरेशापरत मागरे र पि। परम्ख पर तापात पानी पर पुनमा प्रम परमागर से पोलादी भागे बदा था कि उसे चपगढ़ कौनसा में अपने पिता