पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२९३

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पालमपीर महीं बता पाया भी समझ गया कियागना मोचर मेनामामे भैन विधासपाती फार देर । उसमे समझ लिया लिमिर्चा गया और मेरा अब समे पापवा म रमे। इसी समय उवमे मना कि उस पिता रिती से लाहौर को माया पास। हमे अपने मित्रों, मुमारियों और मनबारों से सलाह ली। मनसबदारी, मिशे और सैनिकों में उनके साप पाना पसन्द किया, उमें सेम और बर मागदखीय। उनका इराए गंगानारे होते हुए पहाड़ों के पास नदियों पार पोलिसी धाम में अपने पिता से मिले। पर 5 बोर तम या बाबी भोर धिमानी से पा | परन्त सेना का प्रशिका माग मिर्गा और रिमेर नौके पर मया पा। हमोंने उसे अपना पात-सा मूसवान सामान चोर बामे साधार रिया। बवासने गया तो उगोमे उता 8 मास प्रताप हरा लिप विनमें मुह मे नरामा पापी मी पास दापीचे पर्चा देने पर मोमो मे समझ लिया किएपी ही बाही nt तो नाप बाम से या शाम! मन से मालमों ने उस प्रमागे का साप बोर दिया। अब परम प्रापमी उपरे वापर गए । पिर मी पर भागे बदता हो पा | पर उसमे ना हर दिया में मारी था सेनाएं उप्र मा रोए पी। नाम उसनवार बार बाते ।। गा में गार रेहातियों ने उसे पागार सूम और उनले साथियों को मार गया। इन कार निरा बरे लिप भीनार के मामले में समा गया। गदा के गब्ध पुषी दिन मे से इन पर्व पर पाभप रिया कानारी सेना कोहरे और अपने इम्बियों और बस मा मोर वारसाए। पम्स में मुखमान ही करना पग। sein