पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२९५

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२८. मालमगीर इस समय मौरंगमान में पचास हजार सेना पी, कोषा बी सेस चार पना सामना करने को सही दी। गुबाको मालूम हो गया कि अपने से विगुनी सेना से या परंपरा गत पुर प्रणाली से महीना सता है, इसलिए उसने अपनी सारी सेना तोपकाने के पीछपवार में बसी और एक मबमूद विशेषम्मी बनाई। दोपही दिन बफे, समाई विसी! तोपो, गोगों और परकी मनार गर्पना के पाप पुर प्रारम्भ हुमा । गुबा अपने स्थान पर पमकर भोरगरे प्रारमयों प्रेम करने मगा। इसे औरंगरेप रुप पठिनाई में पा गया। शुषा चाहता पा कि गर्मी से पारा कर शादा नी भोर सौरे वा उस पर बवा न परे। मोरगयेष गगा इस बात समझ गया । अवापर दवा दी मया, पीके नय। मम्त में दोनो सेनाएँ एक दूसरे से मिर गई और वोगे की बाबाने लगी । सैयद मालम मे वीन मतबाटे हाथियों को प्रागे मागे सपेरठे हुए प्रौरमा पाएँ पाए पर मामय मि। या ग्राममण श्वना मीपण पाजिमोरंग बाम पर भंग हो गया मौर चना माग पडी।वी समबन पाने से मोरंग मरने की मानवसार पौष में फैल गई, जिससे उसकी सेना में भगदर होने लगी। ठीकसी समय इसके मम्म माग पर वीस प्रारमय दुपा। उस समय मोरंगरेप रक्षा के लिए मेरा मार मार बाप-परम्तु उसकी सेना के दो पिछले दस्तों में भागे दर पो यह रोक ली। मौरंगबेमे पाई मोर मुहर सेपद पालम से मोर्चा के उसे देसदेव दिपा । परन्तु वीमो मदमस्यापी वाबदेही प प्रा रोपे। उनमें से एक औरम केपी के पास वामा पहुँचा। वह एक र प्रहा। परीरमदेब मे मरने पीपरा में कार गत कर उसे वहा से मारने दिया और यह पशन की मोवि प्रपल वहा । एमु के हापो के मामत को