पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०९

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२१. मालमगीर पताम्स सिंह पर पाते ही बर पामराबार से पर पड़ा। उसे परत प्राणाया। उसमे सोचा कि मैं ऐसे मामी गयी वामपानी में पहुँगा दो मेरे युमरिया प्रारप मेरे मनो के नाचे एक पाएंगे।वी मरोसे का बहोतेबो से प्रबमेरकी मोर पसा। परम्त मारावा बसम्म दिने अम्ना अपन पाहन महीरिया पर सिंह ने एक पत्र देकर उनोगतमा कर रोक दिया। उनोंने उसे समझापा-"मापने वे एर पसायी बनने में सा नाम खेचा। इसन परिपाम वो पहो बागा भाप दुर्वणा में भी एक पपा और निवेदन वा कि गवपूर्ण बीयेपरकम्पबाने से परासाम। माप पर मो पान रहिए कि अम्प पपपूत राय मापने वारवा न देंगे। म उन गया। इसलिए माप ऐनी भाग मत माहारो रे मर में थप और उसे कई न एमापार गरि दाग उपो माग्य मगेमे छोर देगे वो प्रोगाये भी प्रापमा पर देगा पौर प्राप से पापन मी नही मागेमा लामा दूर में मापने सूर्य । प्रविरिक पार गुमराव भी खेसारी मी मिस पायी। इसपनाम भाप समझ सकि पाप एक ऐसे मानव अधिधरी हो जाएंगेचा प्रापरे गम के सिकरौरवहीं पाप पानमसनको और माम उठा स-इन सपा श्रेपो मैने पत्र में मिली है, पूरा पाने का निम्मा में मेवा है।" ति पर बता पुम्बा पा गा और प्रम्पया राय न्योती प्रथमेर पहुंचा-पोसन की सेना ने उसे पेर सिगा। दोराई की लड़ाई ठा से परफ्न मील पूर्व में परमाग में नो पार शिपा और भुषमोर कठिप्यार में नपानगर श्री पर पीन पर