पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३१

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प्रासमयीर में भगत सिम के चारात पैदा होते हो तोदर मार दीपणे सरारीफ से बाएँ वा क्सिी मर-मिग्ने बामे सादिमो मेरने की सवचीक गपाप।पिन र गुलाम दो पाया किदुगए सन मलों को प्रतापरने प्रपदा रमाएँ, वर्षों ऐसे-ऐसे देश श्रीमती बबाहर सपमुच पैदा होते हैं, गोहा, बीयपुर, बार, सीलोन व विममुक्त। पाकाम उसने एक बार अपना हाप पर को उहापाविसमें से ही पोपो होगेरे भुपये। फिर उसने मेहमरी नबर से बादशाह 4 पोर रेलकर पराधीमे सर में प्रा-'पालमपनार, बेपदरी माफ कम्पारस पापरी विसत, पाँचदाई करने का वपिना भयर पुरे, गोलकुणा के गम्प पर, वितभी कानों में ऐसे-ऐसे अनगिनत बार मरे पो पा र सेना प्पाए मुफीया(धीरे से) बपिनार, गुलाम दो पर मामले की पुर्रत प्राइवर उस बळ तर मोजणारे मुक्ति पोषौ भनी चाहिए, पाकिस्माकुमारी तक का मुक तस्ते मुगलिया के कमे में नशा' मौरखमता मे पा मनोभिरापरणार नबर र रिमा । मीग्युपमा प्रगाम पाले मन र पापणापड़ी देर तक उस हीरे को देखते रे। पठारर नोंमे पाहीरा मौरछमता को देते हुए मामीर मीरनुमचा, या सामितान पार पमानतन अपने पास रखो और किती उमदा कारीगर से परमा, तुमारी बाते प्रपिता और उन पर गौर मिा वायगा। मिसन हुस्म होता है कि शारी मान के सामने बोपबीर डाकाँधमत उतम मुगम हो। मोरडमना में प्रथम पारणा और फिर पारा तीन पार वाम पिपा-पोर पीपर अपनी जगह पर जाना।