पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३१३

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प्रासमगीर ची सासर ग मी गप पे | बोहे से नौर-पान-मिन्होंने नाप नही हो या दोन दिन पाविना को पता चला गया। गरिनी पर थी और पून इवनी रुवी भी किस्म पुरा पाता पा। पासी एक मर या पा) दूना मी मरने की दया को पहुँच पुन था। उसी बेगम पैर में एक गहप पार हो गया था, बोसा गा पा । पर एशियारे पासे सम्म, शकिवासी सामान प्र मनोनीत युगब ऐसे दीन-तीन पेश में उस उभर रन पार रसिम्पपिपी सीमा श्री भोर पायापा। विधासघाती के हाथ में औसवात प्रथम रानु पर जीबी मगर पी। सतने राणा पप विहीर बहादुर वीवो दारापाथे भामेर से मेवाती बिया पा, प्रामारारिम सीमा सानिमा लिपा मावर बार बाराकी गारोकने पनि प्रविपरीके और बाद के रसे उत्तर-पूर्व से दारापरे ए भागे बद येथे। उसके लिए भाग निम्नमे पाएकी गा पी और पा सच-पपिपम ने मुहा। सिप नदी पार की, चोर कम्पारण भाग भने के गरे से मालागाम वा पहुंचा। घर पनि बरेनी रम को पार र-परीकी श्रीनारों को मेन निवितान की सीमा पर सिम्पु पर पर पहुँचे, बो गये माम मा बिसारा भारत की मगन मीमा पार कर गपापोरा नियु किनारे-नारे उचर की गा, भारत मे पारी पोर पास गा। इस समय उसपरंगन को निकल बाना पिड प्रवावा। पम्प उसकी बेगम नादिगपाम् मे, बो उस समय इस मवाना यामा प्रय सम्सोमार श्री, प्रा-" प्रपर भाप इन