पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३२२

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शादीवाना परागण मे सिर मुरा-"पोख पी डीपिए णाजार "दिर शादान याबाहम बाँपनाह" पदव, पर गुमरा प्यासा उठगाए।" "हम पोखमी पिएंगे।" "कोहरत प्राब माना नही मिया मुरार मे और मी गुस्ता मरे पोस्ख के पाहिए ए गुलामों मोरदेशमा- "तम उप ममप्रथम से, पाखा में " गुलामो ने प्यासा उठे दिसा मुथरावीशी मावि से मसपर पी गया। पर उसने पासा दिया और मा- बोधनो पो मवर पायेगा ना नही, बड़ा रहा। उसने धीरे से कहा-"क साठी मापसे मुहाग्रत कामे पाए" "न, सा रजेवतानही मामा। द रस्सो, मैं इस रोवान शनि मान रूंगा।" "की मी, म उस पर रेबि मापने गुनार मारणा गला पा" मुरार गुला माहो मध। उसने मममीव स्वर से प्रा- मनपो भामेमस स्मा" 'पए मे भाररि मोममे प्राप६, विधवारी सम- मामा उनो पात पाप धार पाए। प्रमी उतपात रुमाठ भी नही पीर पर नही बसपारो से उसे चायरिया सेपेर बोहो गये। मुराद गवार मायुको सामने रेत एकरम गरबा माउसमे पर पर प्ररनी हार टोली, पर बहरारामा बीसी समय पर सेसद मे दर उतार वारपारकरते हुए - निप पदसून प बदमाtaaR मोदे