पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३३८

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निगम पौर पर सतनामी वायुमो माग शिषा, विस मेतृत्व सदी भारत में पिा। उनोले मारनील पोबार को मार मगाया और गार पर पायबर खिवामारनौर राि और बिर में अपना पाटनर गिरा। मस्बिदों को हरा दिया। इस शिरको पाने के लिए मोरोपायसेना मेवनी पड़ी। इसी समय पंजाब में शिक्षों ने सिर ग्यापा! इस समय तिय माग गाभेगमा समान मानमे बगे । गुरुमोदरपर लगते और ये परारियों और मत्रिों से पिरे गये थे। ये मन्त्री महर पलाते बोल पठान बापगार निवाब 'मसनपाई माना बिगड़ा हुमा नाम पामगीर मे गुरन पर दो हास सरा जुर्माग पा था और जुर्माना न देने पर उने सार में करती हुई ती पर बैठने काम किया था, बिरसे उमथै मृत्यु से या पी। इसके बाद उनके पुत्र गोबिन्द मे सित सम्मपरको सैनिक और एकारी-बी सेना पना बी, विष्ठे बापशादी सेना की एक रो पार माप भी है। बादशा मे उप पाप गुर वेग मार विधी में बुलाकर उस सिर पर किया और इसके प्रद री गुरु गोविन्द गिमे ग्राही सेना वार पुर पेरिया गुरु गोविन्द ने निरन्तर साईपाली और बहुत से ग्रीन पोरमबारे लिए रेफर के रूप में सोमपे । गुरु गोविद मृत्युमार तितोटे-छोर तपन मए और ये पाको समूह भी माँ वि फिरते और घरपार पर थे। मोरय चम्बामा परिक्षाम दुधारि गोपीर पति उसका रानुबन गई। म १५८ अन्त में प्रम में बसबम्द मिश्री मापुरे, इसी बम प्रोपिक में मारा मुगल साम्प में मिला लिया। इस पर रात में पायार से मासिका। सदा उस बाने के लिए सर्व प्रथमेर पाना पड़ा, रातो से समाये