चिरंगम
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और बमुनों से पार कर लिया गरा। गम्मुमो के पाठ सात
पुत्र पानी कोशी उपाधि देकर और सात बारी मनसब
हर में रखा।
इस प्रभार पादिनयार, कुमार और यम्मुधी न दीनों ही
पियरे गालामा हो गया और पे गम्प मुगल राम्प में
मित्रा लिए गए। न प्रबार ११७ अन्व में ऐसा प्रतीत कामे
लगा होगाज मे अब सपा प्राप्त कर दिया, पर पास्वरिया
सपीरिया सब इबोबैठा था।
मुपा वामाम बना विस्तार में स गया पाकर में
एक मजिदारा एक केन्द्र से उस पर गठन होना सम्भव नहीं
गा। सभी दिशाम्रो से इसके शत्रुओं ने सिर उठाया और उसने छौ
गा, परम्त उनका पसना सम्म न पा । उच्च पोर पण मारत
पर परेशों में प्रराबवा सी पी। शासन प्रबरब टोना वा
प्रयवारका बोलबाहा था। पिपरा अनन्त पुर मे मुगह
गग्य कारभट याना शिकुन साक्षीर वा मा बावीन
पीदियों में पित किया गया और विस समृद्धिमा मोहवाशा
संचार मर में था।
धम्मुवीश्री मृसु बाद मपठा संगठन पसरूप ही बदक
गा। भावे दूरभार रमेबासी दिपा शिादी मात्र म रे,
मुगल गमाग के एकमात्र प्रत संगठित मु मोर पपिपी भारत
श्री प्रबनीति महत्वपूर्ण छिपन गर। परे भारतीय माहीप में
बमारे महान का हुमा सर्वम्बरी पाणु बाबुरे समान
किसी भी पका में न माने बाताबामोर माबला, मग प्रदेश,
जुम्मेवार व सुगम विद्रोही गुह उठके मित्र थे, इसलिए अप
प्रोगामी चौट गाना सम्मरीम या। सतबीरन के
प्रावध विनों में एक ही स्लर परना भी पुनणापि होती यो-
बहुर- मप, मन और सरिको बरारी बार पर एक पहाड़ी
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