पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५१

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मालमगीर मम्प और पर प्रतापी वगवियमात समार निवास परवा पा । तपार इसकेस पेमय को एक बार देश देने पर फिर पिसीको में और रेसने रक्षा ही नहीं राबावी थी। अपवा भगत उसे और पनीय दीन र बावा पा । बगम मास मनावर सपर से गमर्मर की पी। पर भी उसकी हर पर छोने न निहायत मूम्पवान् कारीगरी का काम कि गमा पा | सम्भों और दीवारों पर हर बारात की परमीपरी थी कि हम उसे उस युग श्री पापस्वस्मा का प्रादर्य नमूना है। लास भेगम मासीवीप बारी सी चित्रशाला पी और उससे भरा हुमा शाही नगरपाग विसमें रेण पेण स कल, सपारी पान से संपित की गई थी पहा पर बोहा- निधन बने थे, उनमें बहता हुमा गुप्त प्रभ रंगीन मामा प्रकट करता पा; और मंगम मान के अनगिन हमारा पानसों में कार्य मामधियों पस उठवी पी, उस समय इसमान सरसो वापगमों मे मुयामित-या भान पाया था। प्रान में सुनहरी पगारों से गुमाए, बड़ा और पेदमुरकी सर पागोका प्रम्स पेग सदा गवाही या बा। बेगम माल मपान पक्ष की सबाबर और मी निराही पी। मा पूर्वीप सोम में बामना धे सो मूर्वि पी। पाराम मोर उमाबाई पक से । कर एक सामान 40 एरित पे, मिनरे मास का पर्यन करन फर्श पर रंगन और अश्मीर के बड़े-बड़े और प्रति प्रेमरमर मुस्पवान् कालीन विधे। मेके पोसटरों में लगे पोप्रारम पाt | महम के प्रतिविमा को-~-ठ वास गुण र देते थे। बाबा मित-मित्र भैरान और बारीगरी से सगाई गई पुपमाहामो