पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५२

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विद्वीपमालिसा इस रहसपूर्व महस में बादशाह और शायदों में दो और बिसी मर्दप्र गुमा म पा। दरपाचों पर मीमाप मोरे और मीतरी सोदियों पर पटमा वातारी नदियों मारी-मारी बसमारे लिए यव दिन पारा गावी पी। इलिए रिसी मी ममुम्प का उस रंग-महस मे भीतर पहुँचबाना और पहुँप र बार विव निकम माना एक प्रकार से अयम्भव ही था। १० हरम वागारम में दो बार से कार मिया की। इसके बेमनविकास और ऐश-प्रायम की हानियाँ अनेक रूप धारण करके देशदेशान्तर में विपात हो गई थी। योरोप और एशिया के सभी पेयरों में मुपर ऐवर्य पूम की तलामीन विश्वग्राट गान-सौत में मुगल-समार ग्रामों से सपा नही कर सकता था। उमोने रिशी, भागो प्रादि नगरों माद, विशाल और मम्प मानो से मुमिन रिमा पा} मान, मरिषद पोर मरे ऐसे बनाए पे R बिहे देत र बोन स्पामपानरमान विशारद मी परितोपाते थे।सा प्रभार के हम्मा भोर समातीव रायभोग मुगल बादशाह अम्त पुर में निरप म्यार में धारे थे। संधार पर असदीक्षा, मरियर चोर सन्दिप भोग बस्तुएं बीएपर पी। पराग-प्रसार सन 1 मोयोप बिना उमाप मोर प्रग्नी सीमा को उत्पन कराया। पारदरम में भेगमाव के अतिरिक पासवानिर्या, चनियाँ मुमतानिय भोर सानियों गवी यो। म प्र म प्रापश्च द्वापणी का मे परम मिप-मिर यातन-नीमामा अनुणापर वाया पैसे दीरमा मीठा पा! मुना महिलामो