पृष्ठ:आलमगीर.djvu/५६

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पर रवान रते थे। बेगम माल के पाये मोर ममीर, मादी पार शाही फौका पाय पता था। पदि किसी प्रमौर पा राय की ई प्रविपित मरिला रम में पाना पाठी पी, तो उसे पहिले हरम के दारोगा समाव की रजा देनी पदवी थी। उस पर बाम्ने पारवाई रोने के पार पर प्रार्थना स्वीra दो पापी पी चा मह भी हरम में प्राने पावी थी। पर सब प्रथम रहते हुए मी मादणा सर हरम पर भी निगरानी रसता मा हरम से सम्माप रसनेवाली बय-सीमावीमी र मुखर से पाप-पावाल करता पा। बहुम्म्म और दुपाप्प समायव दो मुगल रम पर कर गये ये, निगमाव तदेव पाने एवी श्रीन बेगमात प्रेभरने अपने पगाराव काका पमरा था। ये बहुमा उनें बोचरी मिरिठयों में समार भामे पानेवासियोपदिनापा रवी पी और उनकी प्रांता गुनार प्रदान हुमा रवी पी। वे हीरे और ताहों को निदपवा से बीम से शिपया कर उनकी मालाएँ गले में पानी की। शुमारे साल नारिपन पराठे थे। इन मासाम्रो अपने परे को मार प्रादनीकी मोवि पानठी थी। उनके खाप रोको वरफ मोसिपोनीपोन-चीन सरकारी पी। प मावियो कालो पेट सारी दी। इन गमाव और शारयादियों को पूरा नही पान awar पा न पेये वास । साधारणतया गमाव मोतियों का मूमर पाननी थी, जिया एकोको मोतिपोध गुन्हा माये दावा तामाप्रस्पेडपम और गारबादी रे पावन बहुभूस्व गानो कप ताव-भाव होते रिश गुनार पानती थी। 4माव और गादिपोपया समे एयर एटी दी। ये प्रतिदिन का पोगाई बसोची। देपावर बनी पारी