पृष्ठ:आलमगीर.djvu/६८

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सुम्मए यारा माम पर भी मही मांग पे-पल उसके नाम पर मांगना उस परमान परकार प्रारमी में अपनी राहिममुशार मुख परम देवा पा दूसरे दिम पर 'रतरत' मलाते थे। ये दापों में देवहुरी लिए हुए मील मांगते । उनम मोत माँगने का पावरा माता पारिपेान भागे पार सो पाते थे और पिड पह में भारपा शेठी पी, उसी वरफ श्याग करके मामते थे । मदि मानदार दे रेवा काकालेर पाना भरनी हुरी से परिहिर भादि में बम्म परेल दूधान के मोठर वे पे। बेचारे स्ट्रि निये उनसे बहुत रहे थे। और सून देखते ही उनको मुंहमांगी मीन खर बान दुराते थे। ऐसा ही एक प्रेर 'सरमा' रिमोरे बारे में पूमवा पता था पर बिहान नेपबाग लिखा था। २ नमान पदवा पान मा रमवा । यूिपये पसरप प्रपीचन्द पा-उससे पर प्रेम रखा और उसे पूरा पता-राश भैरोबा मी मापा में बगावदेवा-चमीबदस्त। पप उससे लोग पूछोराका मही पानवापावावा- ऐगार से अपने दिशाम मेऐव।। लोग उसे बहुत मानते थे। एक बार पर भी पाल शामा दाग ठसे व मानवा या! पासाहार वापत पता और भी पा सारीर पर निशाना-और समर दोसावा तो सारी सीकर सामरा भी प्ररने पास सेरापी र सेना । बा तो पेहे-बार उसो पौधे किग परवे सा मागायरोमे, बो वतीमा में यमके माल मतीरे नाट एते । प्रयी' उपप, शागत गिरी मी