पृष्ठ:आलमगीर.djvu/७५

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मालमगीर बेगम में उपेक्षा के भाव में दिपा कर पिनय सा-"माप मेरे सावितको परमेहाभिम बना मे।' बारसार मुस्कुरा दिए । उनोने कहा- 'बण्डारेगम, में पारदो उमे पामा होने म देगा।" "भोर इसर, शान से सूब वोक्ने दिए । "पारस्वामा पारना चाहतrt" देसम के चेहरे पर मपनि प्राए । उपने पारणापात "इनर, दिरे-विषे पोस्पेर से मिल गया, पर उसे वक्त के लिए इनर विशाफ मास t" पाशा कोप से अपने मगे। मोंगे -" में उसे पता करा सगा।" "मी बससे तो दूसरे चमीर मन हो जाएंगे। उसी औरत की बात बहुत फैल गई है। फिर बाहुपरिवार मी "तुम पा पापी होकि उसे मी मारे जागिम पार पंण का सौदा मेव हूँ रितमें वे दोनों मिल मेग ताशी मनसभा में सात "नी, उसे मोमो से दूर मेघना वो सवरनाक "KM र, उसे पीरों में रहिए तापि तकरएक मात्र पर नवर रोपौर इमेया वची पहम्मे रिए से सौप से पाता।" पारगार मेगम को खीर र प्रफ्नो बानी से बगा मिपा और उसे मार पा-मार बगम, तुम ही प्रमहमद मोखो। इत्मीनान समा~म ऐम होगा। मगर दम उस पानी पान से मिलती यो। उसे तभी रोटरबरो" t